नई दिल्ली १२ जनबरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ग्लोबल साउथ को विकास की धारा से अलग नही रखा जा सकता। आज वर्चुअल माध्यम से आयोजित वायस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र में श्री मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ यानी विश्व के कम विकसित और विकासशील देशों की भविष्य में सबसे बडी भागीदारी है। उन्होंने कहा कि दुनिया की तीन चौथाई जनसख्ंया इन्हीं देशों में रहती है और उनकी आवाज को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकतर चुनौतियां कम विकसित देशों ने नहीं खडी की है लेकिन इनका प्रभाव इन्हीं देशों पर पडता है। उन्होंने कहा कि इस प्रभाव को हमने कोविड महामाारी, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और यूक्रेन संघर्ष में देखा है। श्री मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा अपने विकास से जुडे अनुभवों को विकासशील देशों के साथ साझा किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी क्षेत्रों में हमारे विकास के साझीदार है। प्रधानमंत्री ने विश्वासव व्यक्त किया कि ग्लोबल साउथ के देश मिलकर नए और रचनात्मक विचारों का सृजन कर सकते हैं और ये विचार जी-20 तथा अन्य मंचों पर हमारी आवाज का आधार बन सकते हैं। श्री मोदी ने कहा कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का सिद्धान्त अपनाया गया है जो मानव केंद्रित विकास के माध्यम से एकात्मकता का सृजन करेगा।
श्री मोदी ने कहा कि दुनिया ने एक ओर कठिन वर्ष का सामना किया है जिसमें युद्ध संघर्ष, आतंकवाद, भू-राजनीतिक तनाव, बढते खाद्य उर्वरक और बढती ईंधन की कीमतों से जूझना पडा। प्रधानमंत्री ने कहा कि समय की मांग है कि हम ऐसे साधारण, सुगम और सतत समाधानों की पहचान करें जिनसे समाजों और अर्थव्यस्थाओं को बदला जा सके। श्री मोदी ने कहा कि दुनिया को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए देशों को दायित्व, मान्यता, सम्मान और सुधार के वैश्विक एजेंडे पर काम करना होगा।
बाद में अपने भाषण को समाप्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीसवीं सदी में विकसित देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के संचालक थे लेकिन आज इन उन्नत देशों में मंदी का माहौल है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में वैश्विक विकास विकासशील देशों से ही आएगा। श्री मोदी ने कहा कि यदि कम विकसित और विकासशील देश एकजुट होकर कार्य करते हैं तो वे वैश्विक एजेंडा तय कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक शिखर सम्मेलन के आगामी सत्रों और आज की चर्चा से उभरे विचारों पर कल और कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को एकजुट होकर ही अपनी पैरवी करनी होगी। उन्होंने कहा कि इन देशों को ऐसी व्यवस्थाओं और परिस्थितियों पर निर्भरता नहीं रखनी चाहिए जो उन्होंने खुद नही बनाई है।
ग्लोबल साउथ समिट का आयोजन भारत ने किया है। इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से ग्लोबल साउथ के देशों के दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने का मंच प्रदान किया गया है। 120 से अधिक देशों को इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है।