प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – वर्ष 2022 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सफलताओं ने विश्व में भारत को विशेष स्थान दिलाया

नई दिल्ली २५ दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज इस बात पर गर्व व्‍यक्‍त किया कि भारत ने वर्ष 2022 में हर क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर काम किया। आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में श्री मोदी ने कहा कि 2022 की विभिन्‍न सफलताओं ने विश्‍व भर में भारत को विशेष स्‍थान दिलाया। उन्‍होंने कहा कि 2022 ऐसा वर्ष रहा जिसमें भारत को दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थ-व्‍यवस्‍था का दर्जा मिला और उसने 220 करोड़ कोविड वैक्सिन लगाने का रिकॉर्ड पार किया। उन्‍होंने कहा कि भारत ने चार सौ अरब डॉलर के निर्यात का जादुई आंकड़ा पार किया और प्रथम स्‍वदेशी एयरक्राप्‍ट करियर आईएनएस विक्रांत का स्‍वागत किया। प्रधानमंत्री ने खुशी जाहिर की कि भारतीय युवाओं ने खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया। उन्‍होंने राष्‍ट्रमंडल खेलों में देश के प्रदर्शन और महिला हॉकी टीम की विजय की चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष लोगों की शक्ति, सहयोग और संकल्‍प की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की भावना के विस्‍तार के लिए जाना जायेगा। उन्‍होंने कहा कि वर्ष के दौरान एकता और एकजुटता व्‍यक्‍त करने के लिए लोगों ने अनेक कार्यक्रम आयोजित किए। उन्‍होंने गुजरात में माधवपुर मेले की चर्चा की, जहां रुक्‍मणी विवाह और पूर्वोत्‍तर के साथ भगवान कृष्‍ण का सम्‍बन्‍ध दर्शाया गया। उन्‍होंने काशी-‍तमिल संगमम का जिक्र करते हुए कहा कि इन उत्‍सवों में एकता के अनेक रंग दिखाई दिए। श्री मोदी ने अगस्‍त में आयोजित हर घर तिरंगा अभियान पर विशेष प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि छह करोड़ से अधिक लोगों ने बड़े गर्व के साथ तिरंगे के साथ सेल्‍फी भेजी।

उन्‍होंने कहा कि आजादी का यह अमृत महोत्‍सव अगले साल भी चलेगा और अमृत काल की नींव को और मजबूत करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भारत को जी-20 समूह की अध्‍यक्षता की जिम्‍मेदारी भी मिली। उन्‍होंने कहा कि 2023 में जी-20 का उत्‍साह हमें नयी ऊंचाइयों पर लेकर जाना है और इसे जन अंदोलन का रूप देना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि योग और आर्युवेद के क्षेत्र में साक्ष्‍य आधारित अनुसंधान हमेशा एक चुनौती रहा है। उन्‍होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि साक्ष्‍य आधारित औषधि क युग में अब योग और आयुर्वेद आधुनिक युग की जांच और कसौटियों पर खरे उतर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा किए गए गहन अनुसंधान से पता चला है कि स्‍तन कैंसर के मरीजों के लिए योग बहुत असरकारी है। इस केन्‍द्र के अनुंसधान के मुताबिक योग के नियमित अभ्‍यास से स्‍तर कैंसर के मरीजों की बीमारी के फिर से उभरने और मृत्‍यु के खतरे में 15 प्रतिशत तक की कमी आयी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन नतीजों ने विश्‍व के महानतम विशेषज्ञों का ध्‍यान आकृष्‍ट किया है। उन्‍होंने कहा कि यह पहला अध्‍ययन है जिसमें स्‍तर कैंसर से पीडि़त महिलाओं में योग से जीवन की गुणवत्‍ता के बेहतर होने का पता चला है।उन्‍होंने कहा कि इसके दीर्घावधि लाभ भी सामने आए हैं। टाटा मेमोरियल सेंटर में अपने अध्‍ययन के नतीजों को पेरिस में यूरोपियन सोसायटी ऑफ मेडिकल आन्‍कोलॉजी के सम्‍मेलन में भी प्रस्‍तुत किया।

श्री मोदी ने कहा कि दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान-एम्‍स में भी ऐसे ही प्रयास किए गए हैं। उन्‍होंने कहा कि एम्‍स में हमारी पारंपरिक चिकित्‍सा पद्धतियों को प्रमाणित करने के लिए छह साल पहले सेंटर फॉर इंटिग्रेटिव मेडिसिन एण्‍ड रिसर्च की स्‍थापना की गयी थी। इसमें अत्‍याधुनिक तकनीकों और अनुसंधार पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। ये केन्‍द्र अंतर्राष्‍ट्रीय पत्रिकाओं में 20 अनुसंधान आलेख प्रकाशित कर चुका है।

प्रधानमंत्री ने विश्‍व आयुर्वेद कांग्रेस की भी चर्चा की जो हाल ही में गोआ में आयोजित की गयी थी। उन्‍होंने कहा कि इस सम्‍मेलन में 40 देशों ने हिस्‍सा लिया और साढ़े पांच सौ से अधिक अनुसंधान आलेख प्रस्‍तुत किए गए। उन्‍होंने कहा कि भारत सहित दुनिया भर की करीब 215 कम्‍पनियों ने प्रदर्शनी में अपने उत्‍पाद प्रदर्शित किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विते कुछ वर्षों में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र की बड़ी चुनौतियों पर विजय पायी है। उन्‍होंने इसका पूरा श्रेय चिकित्‍सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और देशवासियों की इच्‍छा शक्ति को दिया। उन्‍होंने कहा कि भारत से चेचक, पोलियो और गिनीकृमी जैसी बीमारियों को समाप्‍त करके दिखाया है।

श्री मोदी ने कहा कि कालाजार भी समाप्ति के कगार पर है। इस बीमारी का पर जीवी बालू मक्‍खी के काटने से फैलता है। उन्‍होंने कहा कि हाल ही में चार राज्‍यों के पचास से अधिक जिलों में कालाजार का प्रकोट फैला हुआ था। लेकिन, अब यह बीमारी बिहार और झारखंड के चार जिलों तक ही सीमट कर रह गयी है। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि बिहार-झारखंड के लोगों का सामर्थ्‍य, उनकी जागरूकता, इन चार जिलों से भी कालाजार को समाप्‍त करने में सरकार के प्रयासों में मदद पहुंचायेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार 2025 तक भारत को क्षय रोग से मुक्‍त करने के लिए भी काम कर रही है। उन्‍होंने कहा कि पिछले दिनों टी बी मुक्‍त भारत अभियान शुरू होने के साथ ही हजारों लोग इस बीमारी से पीडि़त लोगों की मदद के लिए आगे आए। उन्‍होंने कहा कि जन सेवा और जन भागीदारी की यही शक्ति, हर मुश्किल लक्ष्‍य को प्राप्‍त करके ही दिखाती है।

प्रधानमंत्री ने गंगा नदी को स्‍वच्‍छ बनाने के दायित्‍व की भी श्रोताओं को याद दिलाई। उन्‍होंने कहा कि इसी उद्देश्‍य के लिए आठ साल पहले नमामि गंगे अभियान शुरू किया गया था। उन्‍होंने कहा कि हम सब के लिए यह गौरव की बात है कि भारत की इस पहल को आज दुनिया भर की सराहना मिल रही है। उन्‍होंने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र ने नमामि गंगे मिशन को पारिस्थितिकी प्रणाली बहाल करने सम्‍बन्‍धी दस प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल किया है। उन्‍होंने कहा यह और भी खुशी की बात है कि नमामी गंगे को यह सम्‍मान विश्‍व के ऐसे 160 कार्यक्रमों के बीच मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामी गंगे अभियान की सबसे बड़ी ऊर्जा लोगों की सहभागिता है। इसमें गंगा प्रहरियो और गंगा दूतों की भी बड़ी भूमिका है। उन्‍होंने कहा कि वे पेड़ काटने, घाटों की सफाई, गंगा आरती, नुक्‍कड़ नाटक, पेंटिंग और कविताओं के जरिये जागरूकता फैलाने में जुटे हैं। इस अभियान से जैव विविधता में भी काफी सुधार देखा जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि हिल्‍सा मछली, गंगा डाल्फिन और कछुओं की विभिन्‍न प्रजातियों की संख्‍या में काफी वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने जलज आजीविका मॉडल की भी चर्चा की, जिसे जैव विविधता को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है। यह पर्यटन आधारित बोट सफारी 26 स्‍थानों पर शुरू की गयी है। श्री मोदी ने कहा कि नमामी गंगे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्‍व को भी नया रास्‍ता दिखाने वाला है।

उन्‍होंने सिक्किम के थेगु गांव के संगे शेरपा जी का उदाहरण दिया, जो पिछले 14 साल से 12 हजार फुट से ज्‍यादा ऊंचाई पर पर्यावरण संरक्षण के काम में जुटे हुए हैं। संगे जी ने सांस्‍कृतिक और पौराणिक महत्‍व की सोमगो झील को स्‍वच्‍छ रखने का बीड़ा उठाया है। अपने अथक प्रयासों से उन्‍होंने इस हिमनद झील का रंग रूप ही बदल दिया है। उन्‍होंने कहा कि उनके प्रयासों से बेहद साफ सुथरी हो चुकी इस झील को देखने हर साल करीब पांच लाख पर्यटक यहां पहुंचते हैं। सोमगो झील के संरक्षण के इस अनूठे प्रयास के लिए संगे शेरपा जी को कई संस्‍थाओं ने सम्‍मानित भी किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयासों से सिक्किम भारत के सबसे स्‍वच्‍छ राज्‍यों में शामिल है।

स्‍वच्‍छ भारत मिशन की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद लोगों ने इस दिशा में अनूठे प्रयास किए हैं। उन्‍होंने कहा कि ये प्रयास सिर्फ समाज के भीतर ही नहीं बल्कि सरकार के भीतर भी हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि कचरा और गैर-जरूरी चीजों को हटाने के प्रयासों का ही यह नतीजा है कि दफ्तरों में काफी जगह खुल गयी हैं। श्री मोदी ने इस दिशा में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रयासों की विशेष रूप से चर्चा की, जिसने मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, शिलांग में अपने कार्यालयों की सफाई के जरिये उपयोगी जगह बनाई है। इससे कई मंजिलें नए सिरे से काम में ली गयी हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कला, साहित्‍य और संस्‍कृति समाज की सामूहिक पूंजी होती है और इन्‍हें आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी पूरे समाज की होती है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा ही एक सफल प्रयास लक्षद्वीप में हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि कल कल्‍पेनी द्वीप पर एक क्‍लब है कूमेल ब्रदर्स चैंलेजर्स क्‍लक, जो युवाओं को स्‍थानीय संस्‍कृति और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण के लिए प्रेरित करता है। उन्‍होंने कहा कि यहां युवाओं को स्‍थानीय कला कोलकली, परीचाकली, किलिप्‍पाट्ट और पारंपरिक गीतों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रधानमंत्री ने दुबई के कलारी क्‍लब की भी चर्चा की, जिसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। ये रिकॉर्ड भारत की प्राचीन मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू से जुड़ा है। यह रिकॉर्ड एक साथ सबसे अधिक लोगों द्वारा कलारी के प्रदर्शन का है। इस आयोजन में चार साल की बच्‍चों से लेकर 60 वर्ष तक के लोगों ने कलारी की अपनी क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री ने इसे अनूठा उदाहरण बताया कि कैसे अलग-अलग पीढि़यां एक प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के गडक जिले में रहने वाले क्‍वेमश्री की भी चर्चा की। क्‍वेमश्री दक्षिण में कर्नाटक की कला-संस्‍कृति को पुर्नज‍िवित करने के अभियान में पिछले 25 वर्षों से अनवरत लगे हुए हैं। उन्‍होंने कला चेतना के नाम से एक मंच बनाया, जो कर्नाटक के देश विदेश के कलाकारों के कई कार्यक्रम आयोजित करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के अनेक क्षेत्रों, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में बांस के कुशल कारीगर और कलाकार हैं। उन्‍होंने कहा कि जब से देश ने बांस से जुड़े अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदला है, इसका एक बड़ा बाजार तैयार हो गया है। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र में पाल घर जैसे क्षेत्रों में भी आदिवासी समाज के लोग बांस से कई खूबसूरत उत्‍पाद बनाते हैं। इनमें बॉक्‍स, कुर्सियां, चायदानी, टोकरियां और ट्रे जैसी चीजें खूब लोकप्रिय हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे आदिवासी महिलाओं को रोजगार भी मिल रहे हैं और हुनर को पहचान भी मिल रही है।

श्री मोदी ने कर्नाटक के एक दंपत्ति से भी परिचय कराया, जो सुपारी के रेशे से बने अनूठे उत्‍पाद अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार तक पहुंचा रहे हैं। कर्नाटक के सुरेश और उनकी पत्‍नी मैथिली में शिवमोगा जिले से सम्‍बद्ध है। वे सुपारी के रेशे से ट्रे, प्‍लेट और हैंडबैग से लेकर कई सजावटी चीजें तक बना रहे हैं। आज उनके उत्‍पाद लंदन और यूरोप के अन्‍य बाजारों में बिक रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने क्रिसमस के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी। उन्‍होंने कहा कि यह दिन जीसस क्राइस्‍ट के जीवन और उनकी शिक्षाओं की याद दिलाता है। उन्‍होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की भी याद दिलाई। श्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री को महान राजनेता बताया जिन्‍होंने देश को असाधारण नेतृत्‍व दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीर बाल दिवस कल मनाया जायेगा। श्री मोदी ने कहा कि उन्‍हें इस सिलसिले में दिल्‍ली में साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत को समर्पित एक कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्‍य मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश साहिबजादे और माता गुजरी के बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

श्री मोदी ने लोगों से कहा कि वे मन की बात की सौ वीं कड़ी में शामिल किए जाने वाले विषयों के बारे में अपने सुझाव भेजें। प्रधानमंत्री ने श्रोताओं को नववर्ष 2023 की शुभकामनाएं दी। उन्‍होंने विश्‍व के कई देशों में कोविड 19 के बढ़ते मामलों के प्रति अगाह किया। श्री मोदी ने सभी से कहा कि वे मास्‍क पहनने और हाथ धोने जैसे एहतियाती उपायों का पालन करें।

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