नई दिल्ली १५ दिसंबर: भारत की अध्यक्षता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठकों की अध्यक्षता करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है। अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में बेहतर बहुपक्षवाद की नई नीति पर सुरक्षा परिषद की खुली बहस में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सुधारों पर बहस जहां लक्ष्यहीन हो गई है वहीं इस बीच वास्तविक दुनिया भी नाटकीय रूप से बदल गई है। अब हम इसे आर्थिक समृद्धि, प्रौद्योगिकी क्षमताओं, राजनीतिक प्रभाव और विकासात्मक प्रगति के संदर्भ में देखने लगे हैं। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि हाल के वर्षों में विश्व व्यवस्था में बढ़ते तनाव से बदलाव का आह्वान और तेज़ हो गया है। उन्होंने कहा कि ये चर्चाएं और इनके परिणाम न केवल यह निर्धारित करने में अहम होंगे कि हम किस प्रकार का संयुक्त राष्ट्र चाहते हैं बल्कि इससे समकालीन वास्तविकताओं को सर्वोत्तम रूप से दर्शाने वाली नई वैश्विक व्यवस्था भी सामने आएगी। डॉक्टर जयशंकर ने यह भी कहा कि 77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुधार के पक्ष में प्रबल भावना के हम साक्षी रहे हैं। हमारी चुनौती इसे ठोस नतीजों में बदलने की है। आतंकवाद की चुनौती पर उन्होंने कहा कि भले ही दुनिया इसके विरूद्ध एकजुटता से साथ आ रही है लेकिन अपराधियों को सही ठहराने और उनकी रक्षा करने के लिए भी बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुत्तेरस के बहुपक्षवाद के आह्वान को दोहराते हुए डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने संकट की इस घड़ी को बहुपक्षवाद के काल में बदलने का सही आह्वान किया है। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि लातिन अमरीका, अफ्रीका, एशिया और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों का सुरक्षा परिषद में सच्चा और निरंतर प्रतिनिधित्व होना चाहिए। विदेश मंत्री ने कोविड महामारी का भी उल्लेख किया जिसमें विकासशील देशों के कई निर्धन राष्ट्रों को कोविड रोधी टीके दिए गए। डॉक्टर जयशंकर ने बहुपक्षीय कूटनीति के हर महत्वपूर्ण समय को स्मरण करने का आग्रह किया जिसमें उच्चतम स्तर पर सुधार की भावना प्रकट हुई है।