मथुरा, 28 नवम्बर (हि.स.)। वृंदावन में सोमवार को भगवान बांके बिहारी का प्राकट्योत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ठाकुर बांकेबिहारी महाराज की जय…। स्वामी हरिदासजी की जय…। बिहार पंचमी के अवसर पर ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के प्राकट्य उत्सव में सोमवार को वृंदावन की कुंज गलियों में जयकारों की यही ध्वनि गुंजायमान रही। भगवान का महाभिषेक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। मंदिर में ठाकुर के बाल रूप को पीताम्बरी पोशाक धारण कराई गई। दिल्ली के भक्तों ने करीब दो लाख रुपये की पोशाक अपने आराध्य को अर्पित की।
धर्म नगरी वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी का प्राकट्योत्सव बड़े ही धूमधाम का मनाया गया। भगवान बांके बिहारी के प्राकट्योत्सव के अवसर पर उनका पंचामृत से महाभिषेक किया गया। ठाकुर बांके बिहारी के महाभिषेक में 350 किलो दूध, 150 किलो दही, शहद, बूरा और गाय का घी इस्तेमाल किया गया। भगवान बांके बिहारी को दो लाख रुपये कीमत की पीतांबरी रंग की पोशाक धारण कराई गई। यह पोशाक दिल्ली के रहने वाले भक्तों ने उन्हें अर्पित की है।
वहीं, एक अमेरिका के रहने वाले भक्त ने 251 डॉलर की माला भेजी है। भगवान बांके बिहारी का आज बाल रूप में प्राकट्योत्सव मनाया गया है। बता दें कि केसर युक्त मूंग दाल के हलवे का ठाकुर जी को भोग अर्पित किया गया। मंदिर को 500 किलो फूलों से सजाया गया। वहीं, रंग बिरंगी लाइट भी मंदिर पर लगवाई गईं। ठाकुर जी के प्राकट्योत्सव को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु भगवान बांके बिहारी के दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचेंगे। इस बार बांके बिहारी के 542वां प्राकट्योत्सव मनाया गया है। आज ही के दिन 542 वर्ष पहले स्वामी हरिदास जी ने अपनी संगीत साधना से भगवान बांके बिहारी के बाल रूप को प्रकट किया था।
11 हज़ार दीयों से जगमगा उठा मंदिर प्रांगण
भगवान बांके बिहारी की प्रकट स्थली निधिवन है। सोमवार सुबह 4ः00 बजे मंदिर के पट खोलें गए। भक्तों ने मंदिर की साफ सफाई की। इसके बाद श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। मंदिर के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रकट स्थली का करीब 350 किलो दूध, 150 किलो दही के अलावा देसी घी, शहद, बूरा से पंचामृत अभिषेक किया। मंदिर प्रांगड़ में 11 हज़ार दीये भी जलाए गए। पूरा मंदिर प्रांगड़ जगमगा उठा।
वृंदावन में निकाली गई शोभायात्रा
बांकेबिहारी महाराज के प्राकट्योत्सव पर सोमवार को सुबह श्रीनिधिवनराज मंदिर से बधाई शोभायात्रा निकाली गई। स्वामी हरिदासजी (चित्रपट रूपी) चांदी के रथ में विराजमान होकर अपने लाडले ठाकुर को बधाई देने निकले। रथ के आगे श्रद्धालु रंगोली बनाते चल रहे थे।
शोभायात्रा के आगे झाड़ू लगाते हुए चले भक्त
शोभायात्रा में भगवान गणेश, राधा कृष्ण की झांकी, हरिदास संप्रदाय के रसिक संतों की सवारी के साथ चांदी के रथ में अपने लाडले ठाकुर बांकेबिहारी महाराज को संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदासजी गोद में लिए विराजमान थे। आगरा, दिल्ली, नागपुर, पुणे, मथुरा और वृंदावन के बैंडों की भक्ति मय धुन के साथ हजारों भक्त बधाई गीत गाते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए हैं।