5-जी की स्पीड से विकास की चाह रखता है पूर्वोत्तर का युवा

जयपुर, 26 नवंबर (हि.स.)। प्राकृतिक सम्पदा के धनी पूर्वोत्तर भारत का युवा अपने क्षेत्र का विकास 5-जी की स्पीड से चाहता है। उसका कहना है कि पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानियों तक एयर कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है, रेल नेटवर्क भी मजबूत हो रहा है, लेकिन बॉर्डर के गांवों तक भी सड़कों की आवश्यकता है। सड़कों के साथ विकास गतिमान होगा।

जयपुर में चल रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन में आए पूर्वोत्तर भारत के युवा छात्रों ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि अब शेष भारत से लोग अब पूर्वोत्तर जाने लगे हैं। पर्यटन की दिशा में पूर्वोत्तर राज्य अब नई पहचान के रूप में उभर रहे हैं। सड़कें, बिजली, इंटरनेट जैसे सुविधाएं दूरस्थ गांवों तक जल्द पहुंचेंगी तो पूर्वोत्तर राज्य आर्थिक विकास की नई इबारत लिखेंगे।

युवा छात्रों में शामिल तामे सियांग का मानना है कि पड़ोसी देश चीन ने अंतरराष्ट्रीय सीमा तक सड़क, बिजली और मोबाइल नेटवर्क का सशक्त जाल बिछाया है, लेकिन अभी हमारे देश की सीमा तक सड़कें नहीं पहुंची हैं, बिजली भी दूर है और मोबाइल का नेटवर्क धीमा है। ऐसे में देश की सीमाओं की सुरक्षा की दृष्टि से भी इस ओर गति बढ़ाने की जरूरत है।

शिलांग-चेरापूंजी-कांजीरंगा से आगे भी पूर्वोत्तर खूबसूरत है। कई जगह कश्मीर से ऊंचे पहाड़ भी हैं। एक बार जो यहां की हरियाली देख लेता है वह कभी नहीं भूल सकता। खास बात यह है कि यहां पर होटल स्टे के बजाय होम-स्टे की अवधारणा को अपनाया जा रहा है ताकि अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पर्यटक पहुंचें और वे वहां के परिवारों के बीच रहते हुए वहां की संस्कृति की अनुभूति करें। इसे लोग पसंद भी कर रहे हैं।

युवाओं ने कहा कि पूर्वोत्तर का पर्यटन विभाग पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रयास कर रहा है, कई पारम्परिक ट्राइबल उत्सवों में जाने-माने चेहरों को भी बुलाया जाने लगा है, लेकिन सोशल मीडिया जैसे क्षेत्रों के माध्यम से एक्सपोजर प्रचार-प्रसार की गति बढ़ाने की जरूरत है। अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह ऐसी हैं जहां पर अभी सड़कें पहुंचना बाकी है।

तिविंग गोम्बू बताते हैं कि हमें 21वीं सदी के अनुरूप गति नहीं मिल पा रही है, हालांकि अभी जो रेल और वायुयान नेटवर्क नजर आ रहा है वह आजादी के 75 साल बाद ही नजर आया है।

जेथुओ लुखाम, नाबाम कामिंग, टेटलोम टायेंग आदि पूर्वोत्तर से आए युवाओं ने वहां बसे अन्य समाज के साथ प्रगाढ़ता के संदर्भ में कहा कि सभी एक दूसरे के यहां आते-जाते हैं, अलग-अलग समाज के परम्परागत उत्सवों या मांगलिक अवसरों पर भी परस्पर निमंत्रण दिया जाता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि खान-पान के मामले में शाकाहार पसंद करने वाले कुछ दूरी बनाते थे, अब आयोजनों में इस बात का ध्यान रखा जाने लगा है। युवा कहते हैं कि वहां की जनजाति वर्ग की लड़कियां जिस युवक को पसंद करती हैं, उसे उसके साथ विवाह करने की अनुमति दी जाती है, ऐसे में अंतरधार्मिक विवाह बढ़े हैं। समुदाय विशेष के लोग वहां घुसपैठ करने की दृष्टि से योजनाबद्ध तरीके से इस प्रकार के विवाह कर रहे हैं। यह गंभीर समस्या बन रही है।

चिकन लीवर से देखते हैं भविष्य

इन युवाओं ने बातचीत में बताया कि उनके वहां भविष्य जानने के लिए विशेष प्रथा है। मुर्गे की बलि देकर उसका लीवर देखकर उनके समुदाय के जानकार व्यक्ति संबंधित का भविष्य बताते हैं। कई अनुष्ठान भी इसी आधार पर किए जाते हैं। बलि दिए जाने वाले मुर्गे को लम्बे समय पवित्र करके भली-भांति देखभाल की जाती है। मुर्गे की बलि वही देता है, जिसे अपना भविष्य जानना होता है।

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