ईरान में हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र ने गठित किया जांच मिशन, प्रस्ताव पर मतदान से भारत गैरहाजिर

जेनेवा, 25 नवंबर (हि.स.)। ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हो रही घातक हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित कर ईरान में हिंसा की जांच के लिए विशेष टीम भेजने का फैसला हुआ। इस प्रस्ताव के लिए हुए मतदान से भारत गैरहाजिर रहा।

ईरान में बीते सितंबर माह में 22 वर्षीय महसा अमीन की पुलिस हिरासत में मौत के बाद लगातार आंदोलन जारी है। वहां प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कठोर हिंसक कार्रवाई की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टूर्क ने ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग की थी। इस पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक विशेष सत्र बुलाकर जांच मिशन गठित करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव के समर्थन में 25 देशों ने और छह देशों ने विरोध में वोट किया। भारत सहित 16 देश मतदान से अनुपस्थित रहे। ऐसे में 25 देशों का समर्थन पाकर प्रस्ताव पारित हो गया और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने ईरान में जांच मिशन भेजने का फैसला कर लिया।

इस विशेष सत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टूर्क ने कहा कि ईरान में जो कुछ हो रहा है, वह बेहद तकलीफदेह है। बच्चों के मारे जाने की तस्वीरें, रास्तों-सड़कों पर महिलाओं को पीटे जाने की तस्वीरें और लोगों को मौत की सज़ा सुनाए जाने की तस्वीरें अब ईरान के लिए आम हो गयी हैं। इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड समेत देश के सुरक्षा बलों ने आंदोलन के खिलाफ जानलेवा बारूद और गोलीबारी का प्रयोग किया है। ये प्रदर्शन अब ईरान के सभी राज्यों के 150 शहरों में और 140 विश्वविद्यालयों में फैल गए हैं।

ईरान में मानवाधिकार स्थिति पर विशेष प्रतिनिधि जावेद रहमान ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की आवाज दबाने के प्रयास बीते सप्ताह के दौरान और ज़्यादा बढ़ गए हैं। अब तो बच्चों के खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है। जावेद रहमान ने बताया कि बीते सप्ताह के दौरान लगभग पांच बच्चों सहित छह दर्जन से अधिक लोग मारे गए हैं। इनमें से ज्यादातर पीड़ित कुर्दिश इलाकों से हैं। उन्होंने बताया कि ईरान सरकार ने इस बारे में लगातार निराधार जानकारियां दी हैं।

ईरान की प्रतिनिधि ख़दीजेह करीमी ने कहा कि सरकार ने महसा अमीनी की मौत के बाद न्याय की ख़ातिर अनेक आवश्यक क़दम उठाए हैं। इन उपायों में एक स्वतंत्र, संसदीय जांच आयोग व एक फ़ोरेंसिक चिकित्सा टीम का गठन भी शामिल है। ईरान की प्रतिनिधि ने कहा कि जांच का विश्लेषण आधिकारिक रूप में सामने आने से पहले ही अनेक पश्चिमी देशों की पूर्वाग्रह से ग्रसित और जल्दबाज़ी से भरी प्रतिक्रिया सामने आई। ईरान के आंतरिक मामलों में पश्चिमी देशों की दखलंदाजी ने शांतिपूर्ण सभाओं को दंगों और हिंसा में तब्दील कर दिया।

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