काशी तमिल संगमम में प्रदर्शनी देख पद्मश्री एयर मार्शल डॉ. पद्मा बंदोपाध्याय हुए गदगद

वाराणसी, 25 नवम्बर (हि.स.)। काशी तमिल संगमम में बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में केंद्रीय संचार ब्यूरो की ओर से आयोजित मल्टीमिडिया प्रदर्शनी लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। प्रदर्शनी में लगे चित्र लोगों को एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना का अनुभव करा रहे हैं।

प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चित्र तमिल व काशीवासियों को अपने सुनहरे अतीत को याद करा रहे हैं। शुक्रवार को संगमम में पहुंची भारत की पहली महिला एयर मार्शल पद्मश्री डॉ. पद्मा बंदोपाध्याय ने प्रदर्शनी देख इसकी जमकर सराहना की।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों, गुमनाम नायकों के योगदान जन-जन तक पहुंचाने का एक सफल प्रयास प्रदर्शनी है। उन्होंने बताया कि एयरफोर्स में 33 वर्षों की सेवाकाल के दौरान मैंने तीन युद्ध देखा। उस दौरान यह महसूस किया कि हम सब भाई-बहन हैं। क्योंकि युद्ध के दौरान जब किसी को गोली लगती है तो उसका अपना सगा सम्बन्धी वहां नहीं खड़ा होता है। वो फौज का ही व्यक्ति होता है। चाहे वो देश के किसी भी कोने का हो।

उन्होंने कहा कि मद्रासी हूं लेकिन यह कोई बात नहीं है हम सब भारतीय हैं। काशी में जो तमिल संगमम हो रहा है यह बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे देश में बहुत सी भाषाएं हैं और लोगों का रहन-सहन भी भिन्न-भिन्न प्रकार का है। काशी विश्व की सबसे प्राचीनतम नगरी है। रामेश्वरम में जन्म लिए लोग भी काशी आते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि काशी आने से सबसे बड़ा पुण्य मिलता है।

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