गोवा/नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि यथार्थवादी फिल्में दर्शकों से जुड़ती हैं। फिल्म कश्मीर फाइल्स इसका उदाहरण है। सत्य घटना पर बनी इस फिल्म को पूरे देश से प्यार मिला। इस फिल्म के आने के बाद से लोग आज कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी के बारे में बात कर रहे हैं।
खेर ने बुधवार को गोवा में 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित इफ्फी टेबल टॉक्स में हिस्सा लेते हुए कहा कि 32 वर्ष बाद कश्मीर फाइल्स ने दुनिया भर के लोगों को 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी के बारे में जागरूक होने में मदद की है। ये सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के लिए दुनिया भर से लगभग 500 लोगों का साक्षात्कार लिया था।
खेर ने कहा कि 19 जनवरी 1990 की रात को बढ़ती हिंसा के बाद पांच लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने घरों और यादों को छोड़ना पड़ा था। खेर ने कहा कि एक कश्मीरी हिंदू के रूप में उन्होंने भी उस त्रासदी को जिया है। लेकिन उस त्रासदी को कोई कुबूल करने को तैयार नहीं था। दुनिया इस त्रासदी को छिपाने की कोशिश कर रही थी। इस फिल्म ने उस त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया।
अनुपम खेर ने कहा कि इस फिल्म में एक अभिनेता के रूप में उन्होंने अपने शिल्प का इस्तेमाल करने के बजाय, उन्होंने असल जिंदगी की घटनाओं के पीछे की सच्चाई को अभिव्यक्ति देने के लिए अपनी आत्मा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि फिल्म के पीछे मुख्य विषय ये है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “उम्मीद हमेशा आसपास ही कहीं होती है।”