नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) शिक्षा के विभिन्न माड्यूल का जिस गंभीरता से विभिन्न भाषाओं और विभिन्न प्रांतों में विस्तार कर रहा है यह भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार है।
शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार नोएडा में एनआईओएस के 33वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। अपने उद्बोधन में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और एनआईओएस के विस्तार पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने एनआईओएस की प्रमुख उपलब्धियों जैसे कि प्रौढ़ शिक्षा में इसकी सराहनीय पहल। एनआईओएस ने केवल 1.5 वर्षों में 10 लाख से अधिक सेवारत शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है। भारत सरकार की ‘पीएमजीदिशा’ योजना के तहत 1 करोड़ 10 लाख लोगों को प्रमाणित किया गया आदि पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि एनआईओएस को भारतीय सांकेतिक भाषा में अपने कार्यक्रमों और पहलों के लिए यूनेस्को द्वारा प्रतिष्ठित किंग सेजोंग पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने संस्थान को ‘प्रज्ञान’ पत्रिका और अन्य पहलों को जारी करने के लिए बधाई दी।
संस्थान के पूर्व अध्यक्ष और शिक्षाविद प्रो. नवल किशोर अंबस्ट कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने इस मौके पर आज की चुनौतियों की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि संस्थान ने आज तक जो भी किया वह तो बीती हुई बात है और वह कागजों में संकलित है, लेकिन असल चुनौती आज की और आने वाले कल की है। आज शिक्षा का मतलब लाइफ लांग लर्निंग है। जिसमे हमारे सामने बड़ी चुनौती डिजिटलाइजेशन की है। आज संस्थान डिजिटल शिक्षा में कैसे आगे बढ़ रहा है यह महत्वपूर्ण है।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रो. सुषमा यादव ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में मुक्त शिक्षा की विशिष्टता पर सभी का ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि इस संस्थान का काम बहुत बड़ा और जिम्मेदारी का है। हमें अपने विद्यार्थियों को उन विद्यार्थियों के सामने खड़ा करना होता है जो विभिन्न संस्थानों से मुख्यधारा की शिक्षा प्राप्त करके आते हैं।
एनआईओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में संस्थान की कार्यशैली व शिक्षा के क्षेत्र में चलने वाले नए और पुराने पाठ्यक्रमों का संक्षिप्त परिचय दिया। साथ ही संस्थान के वैश्विक और बहुआयामी स्वरूप के बारे में अवगत कराया । शर्मा ने संस्थान से जुड़ी आशा वर्कर्स, सेना के जवान, अग्निवीर, कौशल शिक्षा, डिजिटल शिक्षा के अनेक प्लेटफार्म आदि का जिक्र करते हुए बताया कि संस्थान किस तरह अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को शिक्षित करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि आज संस्थान में देश के विभिन्न हिस्सों के लगभग 25 लाख विद्यार्थी नामांकित हैं।