नई दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित किया और 21वीं सदी के लिए भविष्य के लिए तैयार कार्यबल बनाने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और नीति निर्माताओं को मिलकर काम करने की आवश्यकता के बारे में बात की।
एनईपी 2020 के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप एक दार्शनिक दस्तावेज कार्यान्वयन के अधीन है। उन्होंने कहा कि बचपन से लेकर उच्च शिक्षा और कौशल विकास तक, हम सभी स्तरों पर समग्र शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि शिक्षा प्रणाली को बाधाओं को तोड़ना चाहिए और छात्रों को सशक्त बनाना चाहिए। हम शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक समावेशी बनाने के लिए मातृभाषा और स्थानीय भाषाओं में शिक्षा की शुरुआत कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से समाज में वेल्थ क्रिएटर्स की आवश्यकता के बारे में कहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस की भावना के साथ फैसिलिटेटर की भूमिका निभानी चाहिए।
प्रधान ने कहा कि हमारे वेल्थ क्रिएटर्स को भी 21वीं सदी के वर्कफोर्स के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने उद्योग जगत से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि सही ज्ञान की मांग पैदा करके, अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश करके, मौजूदा कार्यबल के पुन: कौशल, अप-कौशल पर ध्यान केंद्रित करके, उद्योग के सदस्य अधिक जीवंत कार्यबल बनाने और भारत के भविष्य के निर्माण में योगदान कर सकते हैं।