नई दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के शैक्षणिक सत्र 2022-23 का सोमवार को शुभारंभ करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि आजादी के पहले भारतीय पत्रकारिता का स्वर्णिम काल रहा है। उस समय के पत्रकार ‘इन्वेस्टिगेटर’ के साथ-साथ ‘इन्वेस्टर’ भी थे। सीमित संसाधनों के साथ उन्होंने पत्रकारिता के स्वर्णिम काल का निर्माण किया। आज के टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में आसानी से हम बहुत कुछ कर सकते हैं और पत्रकारिता एक नया स्वर्णिम काल गढ़ सकते हैं। इस अवसर पर भारत सरकार के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर, आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, कार्यक्रम के संयोजक एवं उर्दू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
‘अमृतकाल के संकल्प और मीडिया’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हरिवंश ने कहा कि जो चीजें पहले सौ वर्षों में बदलती थीं, आज उसके लिए दो दिन का समय भी नहीं लगता। आज आप मामूली संसाधनों के साथ मीडिया स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं और समाज में बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में संघर्ष से कठिन सृजन होता है। यह कठिन तप और साधना है। युवाओं के तप से ही भारत का भविष्य तय होगा। आजादी के सौवें वर्ष में भारत की क्या तस्वीर होगी, वो युवाओं के सपनों और संकल्पों से तय होगा।
हरिवंश ने कहा कि सोशल मीडिया से आज पत्रकारिता के सामने साख का संकट खड़ा हो गया है। फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रोजाना लाखों फेक न्यूज परोसी जा रही हैं। हम सभी को मिलकर इनका सामना करना होगा। उन्होंने कहा कि मीडिया की विश्वसनीयता के बिना आप कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन उसका कोई असर समाज पर नहीं होगा। तकनीक हमारे लिए वरदान के साथ सबक भी है। ये हम पर निर्भर करता है कि इसका कैसा उपयोग किया जाए।
इस अवसर पर भारत सरकार के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने कहा कि देश में डिजिटल क्रांति से विकास की नई तस्वीर निकलकर सामने आई है। आज प्रत्येक व्यक्ति के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। ये भारत के पुनर्जागरण का काल है। उन्होंने कहा कि हम जहां एकतरफ ‘नेशन फर्स्ट’ की डिप्लोमेसी कर रहे हैं, वहीं भारत की ‘साॅफ्ट पावर’ ने पूरी दुनिया को चकित कर दिया है। माहुरकर के अनुसार टीआरपी बेस्ड जर्नलिज्म मीडिया और समाज दोनों के लिए बहुत नुकसानदायक है।
नवागत विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि आप सभी के लिए ये साधना और समर्पण का साल है। उन्होंने कहा कि हम वही बनते हैं, जो हम सोचते हैं। पिछले 75 वर्षों में हमने शानदार यात्रा की है। आने वाले 25 वर्षों में हमें विश्व मंच पर भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना है।