नई दिल्ली, 19 नवंबर (हि.स.)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने शनिवार को अपना 37वां स्थापना दिवस मनाया। समारोह की शुरुआत मैदान गढ़ी स्थित इग्नू मुख्यालय के मुख्य द्वार पर दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
इस अवसर पर संस्कृति और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इग्नू को उसके 37वें स्थापना दिवस की बधाई दी। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मंत्री ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया गया।
मेघवाल ने भारतीय ज्ञान परंपराओं को बनाए रखने में इग्नू द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। उन्होंने उपाख्यानों के माध्यम से समझाया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अभ्यास और अनुभव के माध्यम से सीखने पर निर्भर करती है।
मेघवाल ने कहा कि विभिन्न भारतीय भाषाओं में कार्यक्रम शुरू करके क्षेत्रीय भाषाओं के लिए विश्वविद्यालय की पहल भी सराहना की। उन्होंने कहा कि कोई भी पहली भाषा केवल मां से सीखता है और वह पहली शिक्षिका होती है।
राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने इस अवसर पर अपने संबोधन में भारत में शिक्षा की व्यापक पहुंच के रास्ते में सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक तीन बाधाओं का उल्लेख किया। उन्होंने इग्नू की अनूठी प्रणाली की प्रशंसा की।
इग्नू के वीसी प्रोफेसर नागेश्वर राव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि को विश्वविद्यालय की यात्रा में इस महत्वपूर्ण दिन का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने इस महान संस्थान को बनाने में पूर्व सहयोगियों और उनके योगदान का विशेष उल्लेख किया। विश्वविद्यालय की नई पहलों के बारे में बात करते हुए, प्रोफेसर राव ने अवगत कराया कि विश्वविद्यालय ने पिछले दो वर्षों में 100 नए कार्यक्रम शुरू किए हैं और भारतीय पारंपरिक ज्ञान को शामिल करते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यक्रम शुरू करने का प्रयास किया है।
प्रो नागेश्वर राव ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा 40 से अधिक ऑनलाइन कार्यक्रम शुरू किए गए हैं और विदेश मंत्रालय के ई-विद्याभारती मंच के माध्यम से न केवल भारतीय प्रवासी बल्कि विदेशी नागरिकों को भी लाभान्वित किया जा रहा है।