नई दिल्ली, 19 नवम्बर (हि.स.)। देश के रक्षा सचिव का चार्ज संभालने के बाद पहली बार गिरिधर अरमाने ने चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने गलवान घाटी का भी दौरा किया और ठीक उसी जगह सैनिकों के साथ तस्वीर खिंचवाई, जहां खूनी संघर्ष में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों की याद में बने स्मारक पर तिरंगा फहराकर भारत ने अपना वर्चस्व कायम किया है। उन्होंने शनिवार को उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनात भारतीय सेना के हथियारों की मारक क्षमता देखी।
देश के 40वें रक्षा सचिव के रूप में आईएएस गिरिधर अरमाने ने इस महीने की एक तारीख को पदभार संभाला था। रक्षा सचिव बनने के बाद अरमाने पूर्वी लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों का दौरा करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर चीन सीमा पर पहुंचे हैं। लेह पहुंचकर अरमाने ने सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर (14वीं कोर) के मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान 14वीं कोर के कमांडर ने उन्हें ऑपरेशनल और लॉजिस्टिक पहलुओं की जानकारी दी। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के हिमांक और विजयक प्रोजेक्ट्स के चीफ इंजीनियर्स ने उन्हें लद्दाख में बुनियादी ढांचे के विकास से अवगत कराया।
इसके बाद उन्होंने फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स कमांडर और आईटीबीपी अधिकारियों के साथ गलवान घाटी का भी दौरा किया। साथ ही उन्होंने मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों का जायजा लिया। रक्षा सचिव ने शुक्रवार को सैन्य कमांडर्स के साथ ठीक उसी जगह फोटो खिंचवाई, जहां गलवान नदी के किनारे 15 जून, 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवानों की शहादत हुई थी। इन्हीं जवानों की याद में बने स्मारक पर तिरंगा फहराकर भारत ने अपना वर्चस्व कायम किया है। तस्वीरों में गलवान नदी बर्फ से जमी हुई दिखाई पड़ रही है।
रक्षा सचिव चीन से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) के फॉरवर्ड एरिया पहुंचे। इस दौरान उनके साथ 14वीं कोर के कमांडर और उसके अंतर्गत आने वाली त्रिशूल डिवीजन के अधिकारियों सहित आईटीबीपी के डीआईजी (ऑपरेशन्स) भी मौजूद थे। एलएसी के फॉरवर्ड एरिया के दौरे पर रक्षा सचिव रेजांगला भी पहुंचे। रेजांगला युद्ध की 60वीं वर्षगांठ पर रेजांगला वॉर मेमोरियल पहुंचकर रक्षा सचिव ने वीरगति को प्राप्त सैनिकों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख सेक्टर की अपनी यात्रा के दौरान रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने शनिवार को उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनात भारतीय सेना के जवानों से मिलने पहुंचे। उन्होंने अग्रिम इलाकों में तैनात जवानों के साथ बातचीत करके परिचालन क्षमताओं के बारे में जानकारी ली। पूर्वी लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों पर खून जमा देने वाली ठंड में तैनात जवानों का उन्होंने हौसला बढ़ाया। इस दौरान रक्षा सचिव ने भारतीय हथियारों की मारक क्षमता देखी।