नई दिल्ली, 16 नवंबर (हि.स.)। साहित्य अकादमी के आठ दिवसीय ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के छठवें दिन बुधवार को चर्चा एवं रचना-पाठ तथा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए। अपने प्रिय लेखक से मिलिए कार्यक्रम के अंतर्गत आज पंजाबी के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार कमलजीत नीलों ने बच्चों के साथ बातचीत की और अपनी विभिन्न रचनाओं को बड़े ही रोचक एवं मधुर आवाज में गाकर प्रस्तुत किया।
साहित्यकार कमलजीत ने बताया, “मेरी रचनाओं में संवेदना भरने का श्रेय मेरे गांव की प्रकृति है। आज भी मैं जब उदास होता हूं तो मेरे गांव के पास बनी नहर और वृक्षों के पास चला जाता हूं।” उन्होंने बच्चों से प्रकृति को प्यार करने और किताबों से दोस्ती करने का संदेश देते हुए कहा कि किताबें हमारी सच्ची दोस्त होती हैं। हमें उनसे हमेशा संबंध बनाकर रखना चाहिए। बाल पत्रिकाएं पढ़कर नजरिया बदलता है। एक छात्रा के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी कविताओं और गीतों में लड़कियों के अधिकारों की बात इसलिए भी है कि हमने गांव के परिवेश में उनके साथ भेदभाव होते देखा है, जो कि बिल्कुल उचित नहीं है।
‘बाल पत्रिकाओं के भविष्य’ पर केंद्रित चर्चा सत्र में बाल पत्रिका ‘बाल वाटिका’ के संपादक भैंरूलाल गर्ग ने कहा कि हमारे समय में अनेकों बाल पत्रिकाएं होती थीं, जो धीरे-धीरे बंद हो गई हैं। यह माता-पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को बाल पत्रिकाएं खरीद कर दें, जिससे बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति विकसित हो। पढ़ने की यही प्रवृत्ति आगे चलकर उन्हें जागरूक और संवेदनशील इंसान बनाती है। मलयालम के प्रसिद्ध बाल लेखक एसआर लाल ने मलयालम भाषा में बाल पत्रिकाओं की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए कमलजीत नीलों ने कहा कि बचपन को आगे तक अपने में जिंदा रखने के लिए बच्चों का बाल पत्रिकाओं और बाल साहित्य का पढ़ना बेहद जरूरी है।
‘आजादी के रंग बाल कलाकारों के संग’ शीर्षक से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला में आज सत्रीय नृत्य रूदाली बोरा, कुचीपुड़ी नृत्य भामदी साइ श्रीशाह और ओडिशी नृत्य करिश्मा साहू ने प्रस्तुत किए गए। उल्लेखनीय है कि इस बार के पुस्तक मेले की थीम ‘बाल साहित्य’ है। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में 11 से 18 नवंबर तक साहित्य अकादमी अपने दिल्ली स्थित परिसर में पुस्तक मेले का आयोजन कर रही है। इस पुस्तक मेले में साहित्य अकादमी के अतिरिक्त 30 से अधिक अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशक शामिल हो रहे हैं।