लोकतांत्रिक प्रगति के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता आवश्यक : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, 16 नवंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को जवाबदेही और पारदर्शिता को लोकतांत्रिक प्रगति में मददगार बताया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक सेवा वितरण में जवाबदेही सुशासन के लिए सर्वोत्कृष्ट है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समाज की अंतिम पंक्तियों तक लाभ पहुंचे।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) कार्यालय में दूसरे ऑडिट दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन मूल्यों को सुनिश्चित करने में सीएजी की महत्वपूर्ण भूमिका है अन्यथा व्यवस्था में भ्रष्टाचार और अक्षमता आ जाएगी। ऑडिट को सुशासन का एक शक्तिशाली और अपरिहार्य उपकरण बताते हुए धनखड़ ने आगाह किया कि ऑडिट की अनुपस्थिति या अक्षम ऑडिट से सिस्टम में गिरावट आएगी। उन्होंने सरकारी संस्थाओं द्वारा लंबे समय तक बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन प्रदान नहीं किए जाने वाले उपयोगिता प्रमाणपत्रों के उदाहरणों पर कैग द्वारा अधिक ध्यान केंद्रित करने का भी आह्वान किया।

यह देखते हुए कि भारत का सीएजी वर्षों से विभिन्न संयुक्त राष्ट्र (यूएन) संगठनों का बाहरी लेखा परीक्षक रहा है, धनखड़ ने वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ एक मजबूत लेखा परीक्षा संगठन के रूप में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए सीएजी की प्रशंसा की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कैग के बढ़े हुए सक्रिय रुख के साथ, सरकारी योजनाओं की दक्षता और निगरानी और पहुंच में सुधार होना तय है। उन्होंने कहा, “राजकोषीय दुराचारों का समय पर पता लगाना और प्रभावी परिणामी सुधार तंत्र अनिवार्य सीएजी दायित्व हैं।”

इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने सीएजी द्वारा अपने दूसरे ऑडिट दिवस समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित राष्ट्रीय ऑनलाइन निबंध लेखन प्रतियोगिता – 2022 के विजेताओं को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू, उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक परवीन मेहता, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग के अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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