नई दिल्ली, 15 नवंबर (हि.स.)। साहित्य अकादमी के आठ दिवसीय ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के पांचवें दिन मंगलवार को विभिन्न गतिविधियां जारी रहीं। साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान ‘मानद महत्तर सदस्यता’ प्रख्यात लेखक एवं चित्रकार प्रफुल्ल मोहंती को साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने प्रदान किया। महत्तर सदस्यता के रूप में उन्हें एक शॉल और ताम्र-फलक प्रदान किया गया।
अपना स्वीकृति वक्तव्य में प्रफुल्ल मोहंती ने कहा कि एक गांव के बच्चे के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। कार्यक्रम के आरंभ में सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने प्रफुल्ल मोहंती के सम्मान में प्रकाशित प्रशस्ति-पत्र का पाठ किया। इस अवसर पर साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक और ओडिया परामर्श मंडल के संयोजक बिजयानंद सिंह भी मंच पर उपस्थित थे।
इस बार के पुस्तक मेले की थीम ‘बाल साहित्य’ है। सोमवार को पुरस्कृत हुए बाल साहित्यकारों ने मंगलवार को ‘लेखक सम्मिलन’ में अपनी-अपनी रचना-प्रक्रिया के बारे में विचार साझा किए। सभी बाल लेखकों का कहना था कि बच्चों के लिए और गंभीरता से लिखने की ज़रूरत है। बच्चों के लिए लिखते हुए हमें वर्तमान परिदृश्य, ख़ासतौर पर तकनीकी परिवर्तनों को बहुत ध्यान से प्रस्तुत करना होगा। सभी ने बाल लेखन की प्रेरणा बचपन में दादा-दादी और नाना-नानी के साथ बिताए समय से प्राप्त करने की बात कही।
‘अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रख्यात बाल लेखिका क्षमा शर्मा ने उपस्थित बच्चों के साथ रोचक संवाद किया और अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। उन्होंने कहा कि आज का बाल साहित्य बहुत बदल गया है। बच्चों के बीच मोबाइल की व्यापक उपलब्धि ने जहां बच्चों के लिए कई नई क्षमताएं बढ़ाई हैं वहीं उसके अधिक इस्तेमाल से अनेक समस्याएं खड़ी हुई हैं। उन्होंने तकनीकी रफ़्तार में बच्चों की मासूमियत को बचाए रखने की अपील की। उन्होंने बच्चों को कहानी और कुछ कविताएं बड़े रोचक ढंग से सुनाईं।
‘बाल साहित्य के समक्ष चुनौतियां’ विषयक चर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात मराठी लेखक राजीव तांबे ने की और उसमें जॅया मित्र (बांग्ला), वर्षा दास (गुजराती) एवं सम्पदानन्द मिश्र (संस्कृत) ने अपने-अपने भाषा के बाल साहित्य की स्थिति और उसके समक्ष चुनौतियों की बात की तथा अपनी-अपनी रचनाएं भी प्रस्तुत कीं। सभी लेखकों ने अपनी-अपनी भाषाओं में बाल पत्रिकाओं की कमी और बाल साहित्य की कम उपलब्धता का उल्लेख करते हुए कहा कि अभी बाल साहित्यकारों को बच्चों की दुनिया को समझ कर सृजन करना बेहद आवश्यक है। राजीव तांबे ने बेहद दिलचस्प तरीके से बच्चों के साथ संवाद करते हुए रोचक कहानियां प्रस्तुत कीं और उन्होंने बच्चों के लिए लिखने वाले लेखकों से कहा कि कई बार ज़्यादा ज्ञान या उपदेश की बातें बाल साहित्य को नीरस बना देती हैं। बाल साहित्य में उपदेश के स्थान पर संदेश होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में 11 से 18 नवंबर तक साहित्य अकादमी अपने दिल्ली स्थित परिसर में पुस्तक मेले का आयोजन कर रही है। इस पुस्तक मेले में साहित्य अकादमी के अतिरिक्त 30 से अधिक अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशक शामिल हो रहे हैं।