चंबल-ग्वालियर अंचल के लिए मील का पत्थर साबित होगा कृषि मेला : नरेन्द्र सिंह तोमर

ग्वालियर, 13 नवंबर (हि.स.)। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के तत्वावधान में मुरैना में आयोजित तीन दिवसीय वृहद कृषि मेला, प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का रविवार को समापन हो गया। अंतिम दिन भी हजारों किसानों ने इसमें शिरकत की। इस मौके पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि यह कृषि मेला चंबल-ग्वालियर अंचल के लिए उन्नत कृषि की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए कई ठोस उपाय करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं कृषि मंत्री तोमर को धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार की योजनाओं से छोटे किसानों को फायदा हो रहा है, वे आगे बढ़ रहे हैं। इस मौके पर प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, मुरैना उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह, भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारा देश और चंबल क्षेत्र भी कृषि प्रधान है। हम कृषि को जितना ताकतवर बनाएंगे, उतना ही ताकतवर देश एवं चंबल क्षेत्र भी बनेगा। कृषि की अर्थव्यवस्था में इतनी ताकत है कि देश पर कभी भी कोई संकट आए तो कृषि क्षेत्र उससे देश को उबार सकता है। पहले कृषि संबंधित योजनाएं उत्पादन केंद्रित थीं, लेकिन आज किसानों की आय बढ़ाने से संबंधित नीतियां अपनाई जा रहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जबसे कहा कि किसानों की आमदनी दोगुना से अधिक होनी चाहिए। तबसे केंद्र एवं राज्य सरकारों और किसानों, सभी ने मिलकर इस दिशा में प्रयास किए है। कश्मीर में केसर की खेती होती है, वहां के किसान पहले एक लाख रुपये किलो केसर बेचते थे, वहां केंद्र सरकार ने केसर पार्क विकसित किया एवं सुविधाएं बढ़ाईं तो अब केसर दो लाख रुपये किलो के भाव बिकती है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन के फलस्वरूप किसानों की आय दोगुना से लेकर आठ गुना तक बढ़ी है। हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने देशभर के 75 हजार किसानों का डॉक्यूमेंटेशन किया है। किसान खुद कह रहे हैं कि मोदी सरकार के कारण उनकी आमदनी दोगुना से अधिक बढ़ी है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि खेती की लागत कम हो और किसानों की आमदनी बढ़ती रहे। उत्पादों की गुणवत्ता भी उच्च किस्म की होनी चाहिए। खेती में पानी का कम उपयोग होना चाहिए, सूक्ष्म सिंचाई की ओर ज्यादा जाना चाहिए। खेती में यूरिया, डीएपी का कम उपयोग हों, वहीं बायोफर्टिलाइजर एवं नैनो यूनिया का इस्तेमाल बढ़ना चाहिए। जैविक एवं प्राकृतिक खेती की ओर जाना चाहिए। प्राकृतिक खेती से गायों की उपयोगिता भी बढ़ेगी। गोबर-गौमूत्र से फर्टिलाइजर बनाएंगे तो पैसा बचेगा एवं इससे जो उत्पादन होगा, वह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होगा। देश में 86 फीसदी छोटे किसान हैं, जिनके उत्थान के लिए सरकार ने 10 हजार नए एफपीओ गठित करने की योजना बनाई है और 6,865 करोड़ रुपये के खर्च से इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। तिलहन की कमी को पूरा एवं आयात निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने ऑयल पाम मिशन बनाया, जिस पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

तोमर ने कृषि मेले में हजारों किसानों को प्रशिक्षण देकर उनका मार्गदर्शन करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सहित देशभर के कृषि संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने आयोजन में सहयोग के लिए मप्र सरकार एवं जिला प्रशासन के साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों तथा स्टाल लगाने के लिए विभिन्न कृषि संस्थानों तथा कंपनियों का भी आभार माना।

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