आयुर्वेद के अनुसंधान और विकास में पर्याप्त काम करने की आवश्यकता: सर्बानंद सोनोवाल

नागपुर, 12 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसंधान और विकास में पर्याप्त काम करने की आवश्यकता है।

केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से नागपुर में शनिवार को तीन दिवसीय ‘आयुर्वेद पर्व’ और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा मुख्य रूप से मौजूद थे।

इस अवसर पर सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। 21वीं सदी में आयुर्वेद को वैज्ञानिक प्रमाणों के जरिये स्थापित करने की जरूरत है। बतौर सोनवाल आयुर्वेद के अनुसंधान और विकास में पर्याप्त काम करने की आवश्यकता है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि पहले आयुष एक विभाग था लेकिन 2014 के बाद इस विभाग के मंत्रालय बनने के बाद आयुष देश भर में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है। ‘हर दिन, हर घर आयुर्वेद’ अभियान के माध्यम से मंत्रालय प्रयास कर रहा है। जनसंचार एवं जनभागीदारी से परिवार का प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रहे, यह सुनिश्चित करना है। सोनोवाल ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि केंद्र सरकार के एम्स में आयुर्वेदिक उपचार और आधुनिक उपचार दोनों एक साथ उपलब्ध हों।

इस मौके पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए उसका शुद्ध रूप में अभ्यास किया जाना आवश्यक है। अगर आयुर्वेद को पूरी दुनिया से डिमांड मिलेगी तो उसे स्वत: ही संरक्षण मिल जाएगा। मोहन भागवत ने अपील की कि आयुर्वेद से अगले 25 वर्षों में वैश्विक दर्जा हासिल करने का संकल्प लेने की जरूरत है।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि महाराष्ट्र से शुरू हुआ ‘आयुर्वेद व्यासपीठ’ संस्था का काम पूरे देश में फैल चुका है। सावंत ने कहा कि आयुर्वेद के अच्छे दिन आ गए हैं।

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