शर्म-अल-शेख (मिस्र), 08 नवंबर (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने मिस्र के शर्म-अल-शेख में चल रहे 27वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में चेतावनी देने के साथ साफ कहा कि पृथ्वी बचाने का यह आखिरी मौका है और सभी देशों को एकजुट होकर सहयोग की राह पर चलना होगा। सम्मेलन में भारत के पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रभाव को लेकर चिंता जताई।
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने कहा कि पृथ्वीवासी तेजी से अपनी जिंदगी की जंग हार रह रहे हैं। आने वाली पीढ़ियों को लिए पृथ्वी को बचाने का यह अंतिम अवसर है। यदि हम अभी सहयोग न कर सके तो नरक में जलेंगे, क्योंकि अब आपसी सहयोग के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं है। दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले चीन और अमेरिका पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये देश उत्सर्जन में कमी लाकर मानवता को नष्ट होने से बचाएं।
उन्होंने साफ कहा कि सभी देशों को जलवायु के मसले पर एकजुट होकर समझौता करना चाहिए, क्योंकि सभी एक साथ आत्मविनाश के रास्ते पर चल ही रहे हैं। हर हाल में दुनिया को 2040 तक कोयला के इस्तेमाल से मुक्त करना होगा। उन्होंने दुनिया के सबसे अमीर और सबसे गरीब देशों के बीच एक समझौते का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन से संक्रमण में तेजी लाकर यह सुनिश्चित करना होगा कि गरीब देश उत्सर्जन कम करके जलवायु प्रभावों का सामना कर सकें।
भारत ने जताई वैश्विक प्रभाव को लेकर चिंता
सम्मेलन में भारत के पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की दर को नियंत्रित करने के लिए जलवायु शमन की वैश्विक गति पर्याप्त नहीं है। इसके कारण पूरी दुनिया को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुनिया भर में बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण बनने वाले प्राकृतिक खतरों को स्वीकार करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को लेकर ‘सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी’ जारी करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के एजेंडे का पूरी तरह से समर्थन करता है।
जलवायु कोष में अपना हिस्सा देगा ब्रिटेन
ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार किसी विश्व मंच पर पहुंचे ऋषि सुनक ने जलवायु कोष के लिए 11.6 अरब पाउंड देने की ब्रिटिश प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि मौजूदा समय जलवायु परिवर्तन पर तेजी से कार्रवाई का समय है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा में निवेश नई नौकरियों के साथ विकास का भी शानदार स्रोत है। रूस पर निशाना साधते हुए सुनक ने कहा कि यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का घिनौना युद्ध और दुनिया भर में ऊर्जा की बढ़ती कीमतें भी जलवायु परिवर्तन पर तेजी से आगे बढ़ने का एक कारण है। विकासशील देशों को अनुचित ढंग से अमीर देशों के कार्बन उत्सर्जन के बोझ तले दबाने का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटेन ऐसे देशों को उनका अपना स्वच्छ विकास का मार्ग दिखाने में मदद करने में विश्वास रखता है।
मेजबान देश ने रखा नए समझौते का प्रस्ताव
सम्मेलन की मेजबानी कर रहे मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी ने कहा कि मानवीय प्रयास किये बिना जलवायु परिवर्तन का संकट नहीं समाप्त हो सकता, क्योंकि दुनिया के पास अब बहुत कम वक्त बचा है। उन्होंने गरीब और अमीर देशों के बीच नए समझौते का प्रस्ताव रखा, जिसके तहत अमीर और विकसित देश 2030 तक उत्सर्जन खत्म करें और बाकी देशों को 2040 तक उत्सर्जन खत्म करने में मदद करें।
आलोक शर्मा ने सामेह शौकरी को सौंपा कार्यभार
इससे पहले 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष व भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद आलोक शर्मा ने मिस्र के विदेश मंत्री सामेह शौकरी को संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन का कार्यभार सौंपा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने भाषण में आलोक शर्मा की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि पिछले साल के ग्लासगो जलवायु समझौते को लेकर आलोक शर्मा ने प्रेरक कार्य किए हैं।