देहरादून, 07 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह और अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश जोशी उपाख्य भैयाजी जोशी ने वीर नंतराम नेगी के वीरता को नमन करते हुए कहा कि वो दिन दूर नहीं जब जनजाति समाज लोग अपने को गौरवान्वित महसूस करेंगे। उन्होंने कहा कि आज समाज में भिन्न प्रकार के संघर्ष में नक्सलवाद और साम्यवाद का षडयंत्र जारी है। हमारे लिए विविधता का स्थान है, भिन्नता के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए हमारी परंपराएं एक हैं, हमें खाई में नहीं बंटना है। एक दूसरे का हाथ एक साथ पकड़ कर अंत:करण भाव से समाज को मजबूत बनाने के लिए संकल्प लेना होगा।
भैयाजी जोशी ने यह विचार सोमवार को जौनसार बावर के केंद्र स्थल साहिया में सेवा प्रकल्प संस्थान के संयुक्त प्रयास से वीर नंतराम नेगी ‘गुलदार’ की पीतल से बनी प्रतिमा अनावरण के मौके पर रखे। उन्होंने कहा कि जौनसार बावर के वीरों का समाज की रक्षा के लिए मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की जंग में वीरता और शौर्य का इतिहास रहा है। आज नंतराम नेगी नहीं हैं लेकिन हमारे अंतकरण में उनका स्थान निरंतर बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं अब जनजाति क्षेत्र अपने काे गौरवान्वित महसूस करेगा। जनजाति क्षेत्र में अपमान, भेदभाव, चोरी नहीं होती। प्राप्त धन, शिक्षा और समाज के लिए देना चाहिए। समाज लेन-देन पर चलता है। पर्वतों पहाड़ों में रह रहे लोगों के जीवन के लिए कुछ करना चाहिए। इस प्रकार के प्रयास छत्तीसगढ़ से शुरू हुए और ये लहर अब पूरे देश में प्रारंभ हो गया है। इन बंधुओं के लिए लोग काम करने के लिए आगे आ रहे हैं। हमारी जिम्मेदारी है निजी स्वार्थ को छोड़कर काम करें।
उन्होंने कहा कि षडयंत्रकारियों को षडयंत्र समझ में आने लगा है। षडयंत्रकारी चुप चाप नहीं बैठते। जब उनको लगता है उनका अस्तित्व खतरा में है तो वो फिर षडयंत्र करने के लिए काम करेंगे। षडयंत्रकारियों के षडयंत्र से सचेत रहना होगा। पिछले 70 सालों के बाद स्थिति बदली है। आज भी नक्सलवाद,साम्यवाद हताश होकर षडयंत्र के लिए तैयार बैठे हैं। संपन्न व्यक्ति को भी समाज के अन्य लोगों से सीखना है। श्रेष्ठ व्यक्ति और श्रेष्ठ संस्कार की समाज के विकास में सहयोगी बनेगा। हम संपन्न और आम लोगों के बीच खाई का कारण न बनें। एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलें।
उन्होंने जौनसार के सांस्कृतिक नृत्य की प्रशंसन्नता करते हुए कहा कि बहनों और बंधुओं का हाथ एक दूसरे के हाथ में देखकर मन आनंदित हो गया। यह यथार्थ है, हाथ पकड़ कर चलें। उन्होंने दशकों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखा है। इससे अंतकरण भी एक हो जाता है। समय-समय पर सबको अपनी भूमिका निभानी पड़ती है। सबके पास कुछ देने के लिए है।
भैयाजी जोशी ने कहा कि शौर्य स्थल के तौर पर यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों को गौरवान्वित करने के साथ ही उन्हें अपने वैभवशाली इतिहास की जड़ों से जोड़े रखेगा। ये प्रतिमा आने वाले हर व्यक्ति को प्रेरणा देगी। लोग पूछेंगे यह प्रतिमा किसकी है। यहां से लोग नतमस्तक होकर एक संस्कार,विचार लेकर जाएंगे। पीतल की धातु से बनी प्रतिमा किसी एक दानदाता से नहीं बल्कि यहां के सभी लोगों ने दान देकर बनाया है।
उन्होंने कहा कि अपने समाज के आंतरिक शक्ति को पहचाने की आवश्यकता है। हमें विविधताओं को सुरक्षित रखने के लिए काम करने होंगे। हमला नंतराम नेगी पर नहीं हमलोगों पर हुआ था। वो समाज के रक्षा के लिए खड़े हुए थे और मुगलों,आग्रेजों के साथ एक छोटी सी आयु में संघर्ष करते रहे। अब समय आ गया है कि हम सब एक होकर कार्य करें।
इस प्रतिमा के अनावरण के लिए लगभग 280 गांव में के लोगों से सम्पर्क जानकारी दी गई। अब हर साल 07 नवंबर को श्रद्धांजलि दी जाएगी। सेवा प्रकल्प संस्थान की बहनों की ओर से जौनसार का नृत्य हारुल की प्रस्तुति दी गई। इस मौके पर नंतराम गांव से लोग भी आए थे।
वीर नंतराम नेगी का संक्षिप्त जीवन परिचय-
वीर नंतराम नेगी का जन्म मलेथा गांव में उस समय हुआ, जब जौनसार बावर सिरमौर राज्य का अंग हुआ करता था। बचपन से ही उनमें साहस और वीरता उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। नंतराम नेगी तब सिरमौर रियासत की सेना में एक सैनिक थे। मुगल सूबेदार गुलाम कादिर सहारनपुर को जीत कर 18वीं सदी में उत्तराखंड के रास्ते हिमाचल प्रदेश की सिरमौर रियासत पर कब्जा करना चाहता था, लेकिन वीर नंतराम नेगी ने गुलाम कादिर का वध कर मुगल सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। शहीद हुए वीर नंतराम नेगी ने मुगलों के सेनापति को सिर कलम कर राजा के सामने रखा था, जिससे मुगल सहारनपुर से आगे नहीं बढ़ पाए।
इस मौके पर राष्ट्रीय सह संयोजक जनजाति सुरक्षा मंच राजकिशारे हसदा, कृपाराम नौटियाल, प्रताप सिंह पंवार,आरएसएस के दिनेश,पश्चिम उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम,विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक विजय जुनेजा,उत्तराखंड के सह प्रचार प्रमुख संजय, रविंद्र चौहान, सुशील अग्रवाल, संदीप महावर, प्रताप रावत, देवराज आदि मौजूद रहे।