मथुरा, 07 नवम्बर(हि.स.)। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के पुण्य दिवस पर श्रीकृष्ण-जन्मस्थान परिसर में सोमवार शाम भव्य दीपदान के साथ देव-दीपावली महोत्सव मनाया गया।
सोमवार शाम श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा तथा संस्थान सदस्य व हिन्दूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि संपूर्ण जन्मभूमि परिसर में पुष्प एवं रंगों से बनी-रंगोली के मध्य दीपकों से बड़ी ही सुन्दर छटा बिखर रही थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर दीपों के रूप में स्वयं नक्षत्र एवं तारे उपस्थित होकर भगवान श्रीकृष्ण की पुण्य जन्मभूमि की छटा और शोभा में वृद्धि कर रहे हों। ठाकुरजी की जन्मभूमि की ऐसी अद्भुद एवं दिव्य शोभा के दर्शन कर देश-विदेश से पधारे हजारों श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। श्री अन्नपूर्णेश्वर महादेव, श्री केशवदेव महाराज, तुलसी वाटिका सहित भागवत-भवन में दीप मालाओं की छटा अद्भुद, अनूठी एवं अभूतपूर्व थी।
‘कार्तिके जन्मसदने केशवस्य च य नरा:। सकृत प्रविष्टा: श्रीकृष्णं ते यान्ति परमव्ययम्’।। कार्तिक मास में भगवान की जन्मभूमि के दर्शन मात्र से व्यक्ति जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। अत: ऐसे पवित्र कार्तिक मास में पूर्णिमा के दिन देव-दीपावली के शुभ अवसर पर तैतीस कोटि देवता भी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मभूमि पर उपस्थित रहते हैं। ऐसे अलौकिक तीर्थ में दीव-दीपावली उत्सव में सम्मिलित होना प्रभु कृपा से ही संभव है।
देव-दीपावली के अवसर पर श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के अन्नक्षेत्र में भव्य सन्तसेवा, वैष्णवसेवा की गयी। इस अवसर पर साधु-सन्तजन के साथ-साथ हजारों-हजार श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी के प्रसादी स्वरूप भण्डारे को प्राप्त किया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण-जन्मभूमि पर विराजमान श्रीगिरिराज महाराज का भव्य पंचामृत अभिषेक कर प्रसाद अर्पित किया गया। साथ ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि की गौशाला में भवमय गौसेवा की गयी। इस अवसर पर उप मुख्य अधिषाशी अनुराग पाठक, नारायण राय, श्रीकृष्ण संकीर्तन मण्डल के अनिलभााई, कन्हैयालाल, राजीव गुप्ता, श्रीकृष्ण सेवा मण्डल के अतुल शोरावाला, सुनील कनुआ आदि व्यवस्थाओं में जुटे रहे।