शर्म अल शेख (मिस्र), 07 नवंबर (हि.स.)। मिस्र के शर्म अल शेख में शुरू हुए 27वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-27) के एजेंडे में इस वर्ष जलवायु मुआवजा शामिल कर लिया गया है। इससे मुआवजे से भागने वाले विकसित देशों पर दबाव बनाने में भी मदद मिलेगी। भारत की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 190 से अधिक देशों के प्रतिनिधि मिस्र पहुंच चुके हैं। प्रतिनिधियों ने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से जुड़े नुकसान और क्षति से निपटने पर ध्यान देने समेत इसके वित्तपोषण की व्यवस्था संबंधी मामलों के बारे में चर्चा करने के एजेंडे को मंजूरी दे दी। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अमीर देश नुकसान और क्षति को संदर्भित करने और बढ़ते तापमान के दुष्परिणामों से निपटने के लिए उनकी तरफ से गरीब देशों को मुहैया कराए जाने वाले धन पर औपचारिक चर्चा को खारिज करते आ रहे थे।
बैठक में कॉप-27 के अध्यक्ष मिस्र के विदेश मंत्री समेह शौकरी ने कहा कि यह सम्मेलन जलवायु को नुकसान पहुंचाने वालों से मुआवजा लेने के मसले पर एक सार्थक निर्णय लेने का पथ प्रशस्त करेगा। जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेरबॉक ने कहा कि वे अमीर देशों से अधिक एकजुटता की उम्मीद करती हैं। जर्मनी जलवायु वित्तपोषण और नुकसान व क्षति से निपटने में सहयोग देने के लिए तैयार है।
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र के जलवायु वैज्ञानिक पैनल के प्रमुख ने अपने उद्घाटन भाषण में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और धरती के तापमान में वृद्धि को रोकने के उपायों को तत्काल अपनाने की जरूरत का उल्लेख किया। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के प्रमुख होसुंग ली ने कहा, यह हमें अपने ग्रह और आजीविका को बचाने के लिए पीढ़ियों में एक मौका मिला है। दो सप्ताह तक होने वाली इस बैठक में देशों के बीच जलवायु कार्रवाई पर बातचीत होगी।