भारत को शिखर पर ले जाने में हिमालयी की जैव विविधता विज्ञान निभाएगी महत्वपूर्ण भूमिका: जितेन्द्र सिंह

देहरादून, 05 नवंबर (हि.स.)। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में हर क्षेत्र में हमारी अनेक प्रतिभाएं उभर कर आ रही हैं। देवभूमि उत्तराखंड में एरोमा मिशन में कार्य करने की अनेक संभावनाएं हैं। इससे राज्य में रोजगार अवसर मिलेंगे।आगामी 25 वर्षों में भारत को शिखर पर ले जाने के लिए हिमालयी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। हिमालय की जैव विविधता विज्ञान एवं अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं।

केंद्रीय मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह शनिवार को उत्तरांचल यूनिवर्सिटी प्रेमनगर में विज्ञान भारती उत्तराखंड एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित (भारत सरकार) के आकाश तत्व पर सम्मेलन और प्रदर्शनी-जीवन के लिए ‘पंच भूत’ राष्ट्रीय विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। इस दौरान आकाश तत्व से संबंधित एटलस और सार संग्रह का विमोचन भी किया गया।

उत्तराखंड में एरोमा मिशन में कार्य करने की अनेक संभावनाएं-

डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज हमारे चित्र को नशा उपयोग कर रहा है,पहले नेतृत्व क्षमता की कमी थी,आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम नई सोच के साथ अंतरिक्ष,विज्ञान सहित हर क्षेत्र में नए-नए मुकाम हासिल कर रहे हैं।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस तरह का आयोजन पहली बार हो रहा है,जिसमें प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शोध से जोड़कर वैज्ञानिक मंथन किया जा रहा है। पंचमहाभूत का सर्वप्रथम कार्यक्रम आकाश से शुरू हो रहा है। प्राचीन को आधुनिक से जोड़ने का कार्य विज्ञान के माध्यम से किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज का नया भारत अंतरिक्ष विज्ञान सहित सभी क्षेत्र में अपने मूल मंत्र के साथ महाशक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। हमारी प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए पंच तत्वों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर सम्मेलन में राष्ट्रीय चिंतन निश्चित रूप से सार्थक सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री धामी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आयोजित आकाश तत्व सम्मेलन में देश भर से आए विषय विशेषज्ञों का देवभूमि आने पर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पावन धरा पर आयोजित यह चिंतन कार्यक्रम निश्चित रूप से पंच महाभूतों में प्रधान आकाश तत्व के नवीन आयामों की विवेचना करने में सफल होगा।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व.अटल बिहारी वाजपेयी ने जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा दिया था। इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके साथ जय अनुसंधान जोड़कर इसे पूर्णता प्रदान की है। जय विज्ञान और जय अनुसंधान ये दो शब्द आज के विश्व में विज्ञान और अनुसंधान इन दोनों की महत्ता स्पष्ट करते हैं। आज का नया भारत विज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आज का नया भारत अपनी संस्कृति-अपनी पहचान के मूलमंत्र के साथ विकास की ओर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुरातन व आधुनिक विज्ञान दोनों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए सीएसआर अर्थात कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी की तर्ज पर एसएसआर अर्थात साइंटिफिक सोशल रेस्पांसिबिलिटी के विचार को अपनाने की वैज्ञानिकों से अपील की है। इस प्रकार के सम्मेलन वैज्ञानिक समुदाय के क्रिएटिव माइंडस को एक मंच पर लाकर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को सार्थक करने का मजबूत प्रयास है।

आकाश तत्व की महत्ता मानव जीवन के साथ-साथ देवी-देवताओं में भी परिलक्षित होती है-

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी संस्कृति में देखने को मिलता है कि आकाश तत्व की महत्ता मानव जीवन के साथ-साथ देवी-देवताओं में भी परिलक्षित होती है। हमारी सनातन मान्यताओं के अनुसार आकाश में परमात्मा का, देवी-देवताओं का वास होता है। संसार की समस्त चिकित्सा पद्धतियां भी आकाश तत्व की महत्ता को भली-भांति समझती हैं। मानव जीवन के लिए पांच तत्वों आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन पंच तत्वों के संरक्षण व संवर्धन की हमारी प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस सम्मेलन में विचार-विमर्श हो रहा है, जो निश्चित रूप से सार्थक सिद्ध होगा।

उन्होंने कहा कि आज विश्व में अपनी सशक्त छवि को प्रतिस्थापित करता नया भारत हर क्षेत्र की तरह आकाश तत्व सम्बन्धी वैज्ञानिक अनुसंधानों में भी नये आयाम स्थापित कर रहा है। यह हम सभी के लिए बड़े गर्व का विषय है कि भारत सरकार ने एक नवीन पहल सनातन विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए आकाश तत्व सम्मेलन की सीरीज के आयोजन का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री की विराट वैज्ञानिक सोच और हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से आज हमारा देश पूरी दुनिया में शोध एवं अनुसंधान कृषि, व्यापार, विज्ञान प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उत्तराखंडवासी सौभाग्यशाली हैं कि हम हिमालय की गोद में बसे हैं और ये पंचतत्व हमें विशुद्ध रूप से शुद्ध वायु, स्वच्छ जल, उपजाऊ मृदा और स्वच्छ आकाश के रूप में प्रकृति से उपहार स्वरूप मिले हैं। राज्य सरकार की कोशिश है कि आर्थिकी और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बना रहे। राज्य सरकार सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) के साथ साथ सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) की महत्ता पर विशेष ध्यान दे रही है।

सरकार साइंस सिटी के निर्माण का निर्णय लिया है-

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक सोच को जागृत करने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में साइंस सिटी के निर्माण का निर्णय लिया है। हर क्षेत्र तक अनुसंधान एवं शोध गतिविधियों को पहुंचाने लिए ’’लैब्स ऑन व्हील’’ और अंतरिक्ष प्रौद्यागिकी में जागरूकता के लिए राज्य में एस्ट्रोपार्क बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।

पूरा भारत देवभूमि है और उत्तराखंड देवभूमि का नेतृत्व करता-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह और अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश जोशी उपाख्य भैयाजी जोशी ने कहा कि भारतीय चिंतन और अवधारणा वैश्विक है। हमारा एक आचरण है जो वैश्विक चिंतन का है। पूरा भारत देवभूमि है और उत्तराखंड देवभूमि का नेतृत्व करता है।

भारत का इतिहास हमेशा विश्व से अनूठा रहा है। हमें सही मार्ग और संतुलन के साथ चलकर विश्व को श्रेष्ठ नेतृत्व देना है। हम अब लेने वाले नहीं बल्कि देने वाले की क्षमता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

भैयाजी जोशी ने कहा कि अमेरिका से ज्यादा भारत के लोग सुखी हैं,इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा, सभ्यता, संस्कृति अन्य राष्ट्रों से अलग है। भारत में रबी, खरीफ और जायद तीन-तीन फसलें ली जाती हैं। यह अन्य देशों की तुलना में हमारी संस्कृत अलग है जबकि विश्व के अन्य देश इस मान्यता, परम्परा और मानकों के नहीं हैं।

उन्होंने संतों की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे साधु-संत और अन्य अवतार हुए हैं कि जिन्होंने बताया कि जीवन कैसा होगा? इस संदर्भ में हमें चिंतन करना होगा। संतुलन के आधार पर ही गुणों से युक्त व्यक्ति की भारत में पूजा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बौद्धिक सम्पदा पर आधारित है। मानव जीवन की 85 फीसदी संपदा पर 10 फीसद लोगों का अधिकार है। यह परम्परा बहुत श्रेष्ठ नहीं मानी जा सकती। भारत भी विश्व में 17 प्रतिशत से अधिक योगदान करने वाला देश बन सकता है लेकिन इसके लिए हमें गलत दिशा छोड़कर अच्छे मार्ग पर चलना होगा।

भैयाजी जोशी ने आकाश तत्व की चर्चा करते हुए कहा कि पंच भूत में आकाश तत्व का विशेष महत्व है। आकाश तत्व रिक्त स्थान है,आंतरिक और बाहर के आकाश को हमें समझना होगा।

हमारी सभ्यता और संस्कृति पंच महाभूत पर आधारित है। लोग भले ही वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से इसको अलग-अलग मानते हों लेकिन हमारे ऋषियों, मुनियों ने इस सत्य को समझा, जाना और कार्य संस्कृति में अपनाया है।

इस मौके पर प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार भारत सरकार डा.अजय कुमार सूद,सचिव अंतरिक्ष विभाग एस सोमनाथ,विज्ञान भारती से विवेकानंद सहित अन्यों ने अपना विचार रखे।

इस मौके पर सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक,राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, कल्पना सैनी,संगठन महामंत्री भाजपा अजेय कुमार उत्तरांचल विश्विद्यालय के कुलाधिपति डॉ. जितेंद्र जोशी,भारत सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव, विज्ञान भारती के पदाधिकारी तथा देश-विदेश से आए वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।

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