‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए पांच मेक II परियोजनाओं को सेना की मिली मंजूरी

नई दिल्ली, 04 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय सेना स्वदेशी विकास के माध्यम से चल रही परियोजनाओं को और बढ़ावा देने के लिए पांच मेक II परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। यह परियोजनाएं भारतीय उद्योग से वित्त पोषित हैं, जिन्हें प्रोटोटाइप विकास के लिए डिजाइन किया गया है। स्वदेशी उद्योगों को हथियारों का प्रोटोटाइप विकास होने के बाद उनका आदेश दिए जाने का आश्वासन दिया गया है। भारतीय सेना पहले से ही पूंजी अधिग्रहण की मेक II प्रक्रिया के तहत 43 परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है, जिनमें से 22 अब प्रोटोटाइप विकास चरण में हैं।

फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो

देश की 14 विकासशील एजेंसियों को फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एचएफएसडीआर) का प्रोटोटाइप विकास करने के लिए परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) दिया गया है। इसके बाद भारतीय सेना की 300 एचएफएसडीआर खरीदने की योजना है। अत्याधुनिक, हल्के वजन वाले एचएफएसडीआर बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ-साथ बढ़ी हुई डेटा क्षमता और बैंड चौड़ाई के माध्यम से लंबी दूरी का रेडियो संचार प्रदान करेगा। यह जीआईएस का उपयोग करके मानचित्र आधारित नेविगेशन के साथ ब्लू फोर्स ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करेगा। ये रेडियो सेट मौजूदा एचएफ रेडियो सेटों की जगह लेंगे।

ड्रोन किल सिस्टम

भले ही ड्रोन से संबंधित प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित हो रही हैं, लेकिन रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम ने आधुनिक युद्धक्षेत्र को बहुत प्रभावित किया है। इस क्षेत्र में विश्व स्तर के उत्पादों को विकसित करने के लिए स्वदेशी उद्योग के पास पर्याप्त विशेषज्ञता है। भारतीय सेना ने मेक II योजना के तहत ड्रोन किल सिस्टम के 35 सेटों की खरीद के लिए 18 विकासशील एजेंसियों को परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) को मंजूरी दी है। ड्रोन किल सिस्टम कम रेडियो क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) ड्रोन/मानव रहित एरियल सिस्टम (यूएएस) के खिलाफ एक हार्ड किल एंटी ड्रोन सिस्टम है, जिसे दिन और रात दोनों समय सभी प्रकार के इलाकों में काम करने के लिए विकसित किया जा रहा है।

ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर

सेना ने ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर (आईडब्ल्यूटीएस) का प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए चार विकासशील एजेंसियों (डीए) को परियोजना स्वीकृति आदेश (पीएसओ) जारी किया है। इसके बाद सेना आईडब्ल्यूटीएस के 125 सेटों की खरीद करेगी। यह भारतीय परियोजना एमएसएमई/स्टार्ट अप के लिए आरक्षित है। इसका उपयोग युवा सैनिकों को विभिन्न प्रकार के हथियारों पर निशानेबाजी सिखाने के लिए किया जाएगा। आईडब्ल्यूटीएस गोला-बारूद पर बार-बार होने वाले खर्च को कम करने के अलावा फायरिंग रेंज की उपलब्धता और खराब मौसम की चुनौतियों से भी निजात दिलाएगा। प्रत्येक आईडब्ल्यूटीएस से एक साथ 10 कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।

टर्मिनली गाइडेड मुनिशन्स (टीजीएम)

मेक II योजना के तहत 155 मिमी टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (टीजीएम) के विकास के लिए छह विकासशील एजेंसियों को परियोजना स्वीकृति आदेश जारी किया गया है। गोला-बारूद के कई वेरिएंट सटीक स्ट्राइक क्षमता की सूची में रखे गए थे। इसलिए भारतीय सेना ने सुनिश्चित सटीकता और घातकता के साथ उच्च मूल्य लक्ष्यों के खिलाफ 155 मिमी टीजीएम के लगभग 2000 राउंड खरीदने की योजना बनाई है।

मीडियम रेंज प्रिसिजन किल सिस्टम

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने एमआरपीकेएस का एक प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 15 विकासशील एजेंसियों को परियोजना स्वीकृति आदेश जारी किया गया है। इस प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद भारतीय सेना एमआरपीकेएस के 10 सेट खरीदेगी। यह एक बार लॉन्च होने के बाद दो घंटे तक हवा में ‘लोइटर’ कर सकता है और 40 किमी. तक के लक्ष्यों को मार सकता है। एमआरपीकेएस खरीदने की तत्काल जरूरत है जो दिन और रात के सभी मौसमों में लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम हो। यह सिस्टम तोपखाने इकाइयों को सटीक रूप से स्थिर और गतिमान लक्ष्यों का पता लगाने, उन पर हमला करने और नष्ट करने में मदद करेगा।

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