हैदराबाद, 2 नवंबर (हि.स.)। तेलंगाना की मुनुगोडे विधानसभा के लिए हो रहे उपचुनाव के लिए गुरुवार को वोट डाले जाएंगे। मतदाता निडर होकर निष्पक्ष रूप से मतदान कर सकें, इसके लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। इस उपचुनाव में 2.41 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे।
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) विकास राज ने बताया कि मुनुगोडे निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। कुल 298 मतदान केंद्र स्थापित किये गये हैं। इनमें शहरी 35 और ग्रामीण क्षेत्रों को में 263 केंद्र हैं। निर्वाचन क्षेत्र में कुल 105 संवेदनशील मतदान केंद्रों की पहचान की गयी है। निर्वाचन क्षेत्र में सुरक्षा बंदोबस्त के लिए कुल 3,366 पुलिसकर्मी और 15 कंपनी केंद्रीय अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। मतदान केंद्रों में वेबकास्टिंग के लिए आवश्यक व्यवस्था की गयी है और जिलाधीश कार्यालय के साथ-साथ यहां हैदराबाद में सीईओ कार्यालय में भी सेंट्रल कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।
मुनुगोडे विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की राजनीति पर असर डाल सकते हैं। नलगोंडा जिले में इस पिछड़े निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव राज्य में तीनों प्रमुख दलों सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए अहम है।
हाल में अपना नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) करने वाली सत्तारूढ़ टीआरएस का उद्देश्य यहां बड़े मार्जिन के साथ जीत दर्ज करने की होगी, ताकि वह राज्य की राजनीति में अपना दबदबा दिखा सके। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली पार्टी इस जीत से राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहेगी कि वह भाजपा का मुकाबला कर सकती है और उससे जीत सकती है।
उधर, भाजपा को मुनुगोडे में जीत से टीआरएस के विकल्प के तौर पर उभरने की योजना को बल मिलने की उम्मीद है। पिछले दो वर्ष में दुब्बाका और हुजूराबाद विधानसभा उपचुनावों तथा हैदरबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में जीत से भाजपा का मनोबल ऊंचा है। अगर वह टीआरएस के बाद दूसरे नंबर पर भी रहती है तो भी वह मुख्य विपक्षी दल होने का दावा कर सकती है।
इस बीच कांग्रेस के लिए 2014 और 2018 के विधानसभा चुनावों और उसके बाद उपचुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद यह एक तरह से करो या मरो का मुकाबला है। इस उपचुनाव के मुकाबले में वाम दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल हैं और उन्होंने टीआरएस को समर्थन देने की घोषणा की है।
उपचुनाव में 47 उम्मीदवार मैदान में है लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के राजगोपाल रेड्डी, टीआरएस के विधायक कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी और कांग्रेस की पी श्रवंती के बीच है। राजगोपाल रेड्डी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं और उसके टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजगोपाल रेड्डी की लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी, पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तथा सांसद बंडी संजय कुमार, पार्टी विधायक इटेला राजेंद्र और एम रघुनंदन राव समेत अन्य नेताओं को प्रचार अभियान की जिम्मेदार सौंपी है।
टीआरएस ने भी चुनाव प्रचार के लिए अपने 14 राज्य मंत्रियों, 30 से अधिक विधायकों और अन्य नेताओं की फौज तैनात कर रखी है। कांग्रेस प्रत्याशी पी श्रवंती अपने दिवंगत पिता पी गोवर्धन रेड्डी की अच्छी छवि को भुनाने की कोशिश कर रही हैं, जो मनुगोडु से विधायक तथा सांसद रह चुके हैं।
नलगोंडा जिला काफी पहले से कांग्रेस का गढ़ रहा है और पार्टी ने 2019 के आम चुनावों में जिले की दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि अब हालात बदल गए हैं। मंगलवार को मुनुगोडे उपचुनाव के प्रचार के अंतिम दिन सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (तेरास) व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं के बीच धक्कामुक्की और झड़पें हुई थीं। उस समय स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर मौजूद पुलिस को हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा था। इस झड़प में 18 कार्यकर्ता घायल हुए थे।
मंगलवार के ताजा घटनाक्रम को देखते हुए चुनाव आयोग ने उपचुनाव में मतदाताओं और राजनीतिक दलों से चुनाव आचार संहिता का पालन करने और मतदान प्रक्रिया में सहयोग का आग्रह किया है।