दिल्ली में 17 नवंबर से शुरू होगा तीन दिवसीय ‘ज्ञानोत्सव’: अतुल कोठारी

नई दिल्ली, 01 नवंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय स्तर पर भारतीय शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए काम करने वाली संस्था “शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास” और शिक्षा मंत्रालय से संबंधित विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के सहयोग से 17 नवंबर से ‘ज्ञानोत्सव-2079’ का आयोजन भारतीय कृषि संस्थान (पूसा) में किया जाएगा। तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव का विषय शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत होगा।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 34 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत केन्द्रित, नवोन्मेषी, लोकतांत्रिक एवं विद्यार्थी केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति जारी की गयी है। इस नीति के निर्माण के बाद भी नीति पर व्यापक विमर्श की आवश्यकता है, जिससे शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोग इस नीति को भली भांति समझ सकें ताकि इसके समुचित क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त हो सके।

उन्होंने कहा कि इन उद्देश्यों को दृष्टिगत करते हुए यह तीसरा ज्ञानोत्सव-2079 दिल्ली में 17-19 नवंबर शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पर प्रस्तावित है। शिक्षा से छात्र, शिक्षण संस्थान एवं देश आत्मनिर्भर बने इस विषय पर ज्ञानोत्सव 2079 में विशेष चिंतन होगा। इसमें प्रमुख रूप से तीन विषय होंगे। पहला, शिक्षा में कौशल विकास, स्टार्ट-अप और अनुसंधान, दूसरा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन और तीसरा आत्मनिर्भर भारत में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका।

कोठारी ने कहा कि विमर्श इस बात पर केंद्रित होगा कि शैक्षणिक संस्थान, सामुदायिक जुड़ाव, शिक्षा और अनुसंधान में स्टार्ट-अप व विकास से देश को आत्मनिर्भर बनाने में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं। इस आयोजन में देश भर के लगभग 800-1000 कुलपतियों, निदेशकों, वरिष्ठ शिक्षाविदों, शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को आमंत्रित किया जाएगा।

विश्वविद्यालय के छात्रों एवं शोधार्थियों के लिए ‘शिक्षा से आत्मनिर्भरता’ और ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ विषयों पर राष्ट्रीय स्तर पर आलेख प्रतियोगिता होगी। विद्यालयों के छात्रों के लिए मेरे सपनों का आत्मनिर्भर भारत विषय पर केंद्रित आलेख और पोस्टर प्रतियोगिता होगी।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास परिचयः वर्ष 2004 में भारत के शिक्षा जगत के पाठ्यक्रमों में व्याप्त विकृतियों के विरुद्ध “शिक्षा बचाओ आंदोलन प्रारम्भ किया गया था। इस आंदोलन के माध्यम से देश में विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रमों में व्याप्त विकृतियों को दूर करने में अद्वितीय सफलता प्राप्त हुई। इस संघर्ष को संस्थागत स्वरूप प्रदान कर 24 मई 2007 को ”शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास” का गठन किया गया।

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