पूर्वोत्तर में नशे का मकड़जाल

भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर में भी ड्रग्स की तस्करी का अवैध कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा द्वारा ड्रग्स तस्करों के खिलाफ सख्ती बरते जाने के निर्देश के मद्देनजर पुलिस लगातार ड्रग्स तस्करों को पकड़ रही है। बावजूद इसके यह गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। असम में इन दिनों सबसे ज्यादा हेरोइन की तस्करी हो रही है। आए दिन हेरोइन तस्करों को पुलिस गिरफ्तार कर रही है। लेकिन यह नशे का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा ।

युवा पीढ़ी इन दिनों सबसे ज्यादा ड्रग्स का सेवन कर रही है। हेरोइन की लत काफी खतरनाक है। यह सीधा मस्तिष्क पर असर करती है, और इसे आसानी से छोड़ पाना काफी मुश्किल है। पुलिस तस्करों को ड्रग्स तस्करी करते समय गिरफ्तार कर जेल भेज देती है। लेकिन ड्रग्स, गांजा समेत नशीले टेबलेट्स का गोरखधंधा असम में पड़ोसी राज्य मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर, नगालैंड के रास्ते पहुंच रहा है।

पुलिस नशे के मुख्य सौदागरों तक अभी भी पहुंचने में पूरी तरह विफल हैं। इसकी वजह से ड्रग्स का गोरखधंधा चल रहा है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाली युवा पीढ़ी ड्रग्स सेवन कर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। असम के शहरों के अलावा गांव-गांव में भी अब हेरोइन आसानी से मिल रही है। युवक-युवती इसे चख कर इसका मजा लेना चाहते हैं। लेकिन जब इसकी लत लग जाती है, तो उसे छोड़ पाना काफी मुश्किल होता है।

ड्रग्स सेवन करने वाले युवक-युवतियों को जब पैसा नहीं मिलता तो अपराध की अंधी सुरंग में फंसकर ड्रग्स खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम करते हैं। जानकारों की माने तो अफगानिस्तान से हेरोइन को भारत भेजने के दो ही रास्ते हैं। पहला सड़क मार्ग और दूसरा समुद्री रास्ता। सड़क मार्ग के लिए हेरोइन को पहले अफगानिस्तान की सीमा से सटे पाकिस्तान के इलाकों में भेजा जाता है। वहां से पंजाब और राजस्थान होते हुए हेरोइन की खेप भारत लाई जाती है।

1800 के दशक के आखिर के दौर में हेरोइन को प्रयोगशाला में तैयार किया गया था, जिस समय इसे तैयार किया गया उसके कुछ सालों बाद इसका इस्तेमाल खांसी-खराश के लिए बनने वाली दवाओं में किया जाता था। आज 148 साल बाद हेरोइन एक नशे में तब्दील हो चुकी है और इसका सेवन गैरकानूनी है। बीते कई सालों में अन्य देशों की तरह भारत में भी कई लोगों की हेरोइन की ओवरडोज लेने की वजह से जान जा चुकी है।

हेरोइन के निर्माण के संबंध में जो सबसे पुरानी ज्ञात रिपोर्ट है वह वर्ष 1874 के दौर की है। जब एक अंग्रेज रसायनशास्त्री सीआरए राइट ने इसे लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल स्कूल ऑफ मेडिसिन में मॉर्फिन से सिंथेसाइज्ड (कृत्रिम विधि से तैयार करना) किया था। इसके बाद से ही हेरोइन का इस्तेमाल दवा में किया जाता था। 148 साल बाद दवा में इस्तेमाल किए जाने वाला हेरोइन लोगों की अब जान ले रहा है। पूरे विश्व में इस पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद तस्कर इसका गोरखधंधा चला रहे हैं। समय रहते अगर हेरोइन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं की गई तो भारत का एक बड़ा युवा वर्ग पूरी तरह तबाह हो जाएगा। इसके लिए जो कानून है उसे और भी कड़ा बनाने की जरूरत है।

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