नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (हि.स.)। मुसलमानों के शैक्षिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए एक नए संगठन का उदय हुआ है। इसका पहला सम्मेलन सोमवार को राजधानी के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ। सम्मेलन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब सहित देश भर से आए उलेमा, बुद्धिजीवी और शिक्षाविदों आदि ने भाग लिया है।
इस संगठन का नाम ‘पसमांदा मुसलमान पॉलीटिकल एंड वेलफेयर अवेयरनेस ऑफ इंडिया काउंसिल’ रखा गया है। इसका संयोजक हैदराबाद के जाने-माने समाजसेवी सैयद फैयाजुद्दीन को बनाया गया है। सम्मेलन में गुजरात में होने वाले पुल हादसे में मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन भी रखा गया। संगठन के उद्देश्यों के बारे में सैयद फैयाजुद्दीन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में पसमांदा पिछड़े मुसलमानों की बात की थी। उन्होंने उनके विकास और उत्थान के बारे में सोचने का आह्वान किया था। इसीलिए मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए इस संगठन की नींव डाली गई है।
उनका कहना है कि मुसलमानों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए हमारे पास संसाधन मौजूद हैं। इसके बावजूद हम उनके पिछड़ेपन को दूर नहीं कर पा रहे हैं। इस संगठन के माध्यम से देशभर में मुसलमानों को शैक्षिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर उन्हें जागरूक करने की कोशिश करेंगे। सम्मेलन में मौजूद अधिकांश वक्ताओं ने मुसलमानों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए शिक्षा को हथियार बनाने पर बल दिया। इसके अलावा राजनीतिक स्तर पर मुसलमानों में सूझ-बूझ पैदा करने पर भी बल दिया गया।
सम्मेलन में वक्फ संपत्तियों के विकास, रखरखाव और उसकी सुरक्षा पर भी बातचीत की गई है। सम्मेलन में एक प्रस्ताव यह भी आया कि वक्फ संपत्तियों को बेघर बार मुसलमानों को दिया जाना चाहिए और वहां पर उनके घर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें लोन दिया जाना चाहिए। इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू शहरी विकास योजना के तहत वफ्फ संपत्तियों पर फ्लैट बनाकर मुसलमानों को दिए जाने की बात भी की गई है। सम्मेलन को मौलाना जाहिद रजा जैदी, मौलाना शौकत बरकाती, मुफ्ती अफरोज आलम कासमी, सलीम बेग, सूफी खलील मियां, मौलाना नफीसुल हसन आदि ने भी संबोधित किया।