नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश में कहा कि भारत तेजी से दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है। सरकार विनिर्माण क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक नीतिगत माहौल बनाने में सक्रिय है। पिछले 8 वर्षों में सभी के प्रयासों के कारण भारतीय इस्पात उद्योग दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक उद्योग बन गया है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) हजीरा संयंत्र के विस्तार के अवसर पर एक सभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस्पात संयंत्र के माध्यम से न केवल निवेश हो रहा है बल्कि कई नई संभावनाओं के द्वार भी खुल रही हैं। 60 हजार करोड़ से अधिक के निवेश से गुजरात और देश के युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे। इस विस्तार के बाद हजीरा स्टील प्लांट में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन से बढ़कर 1.5 करोड़ टन हो जाएगी।
2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ने के लक्ष्यों में इस्पात उद्योग की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि एक मजबूत इस्पात क्षेत्र एक मजबूत बुनियादी ढांचा क्षेत्र की ओर जाता है। इसी तरह, इस्पात क्षेत्र का सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाहों, निर्माण, मोटर वाहन, पूंजीगत सामान और इंजीनियरिंग उत्पादों में बहुत बड़ा योगदान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में विस्तार के साथ-साथ एक पूरी तरह से नई तकनीक आ रही है। यह तकनीक इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल और अन्य विनिर्माण क्षेत्रों के लिए बड़ी मददगार होगी। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया की यह परियोजना मेक इन इंडिया के विजन में मील का पत्थर साबित होगी। इससे इस्पात क्षेत्र में विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के हमारे प्रयासों को नई ताकत मिलेगी।”
प्रधान मंत्री ने भारतीय इस्पात उद्योग को और बढ़ावा देने के उपायों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि पीएलआई योजना ने इसके विकास के नए रास्ते बनाए हैं। आईएनएस विक्रांत का उदाहरण देते हुए, प्रधान मंत्री ने बताया कि देश ने उच्च श्रेणी के स्टील में विशेषज्ञता हासिल की है जिसका उपयोग महत्वपूर्ण रणनीतिक अनुप्रयोगों में बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विमानवाहक पोत में इस्तेमाल होने वाले विशेष स्टील को विकसित किया है। भारतीय कंपनियों ने हजारों मीट्रिक टन स्टील का उत्पादन किया। और आईएनएस विक्रांत स्वदेशी क्षमता और तकनीक के साथ पूरी तरह से तैयार था। ऐसी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए देश ने अब कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में हम 154 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन करते हैं। हमारा लक्ष्य अगले 9-10 वर्षों में 300 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता हासिल करना है।