टाटा समूह बनाएगा 40 परिवहन विमान, प्रधानमंत्री 30 को वडोदरा में रखेंगे प्लांट की आधारशिला

 पिछले साल फाइनल हुआ था 56 सी-295 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान खरीदने का सौदा

– यूरोपियन कंपनी एयरबस चार साल में 16 विमान ‘फ्लाइंग मोड’ में भारत को आपूर्ति करेगी

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (हि.स.)। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत टाटा समूह वडोदरा में वायु सेना के लिए फ्रांसीसी परिवहन विमान सी-295 का निर्माण करेगा। पहले 16 विमानों का उत्पादन स्पेन में होगा और यूरोपियन कंपनी एयरबस चार साल के भीतर ‘फ्लाइंग मोड’ में भारत को आपूर्ति करेगी। शेष 40 विमानों का निर्माण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 अक्टूबर को गुजरात के वडोदरा में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला रखेंगे।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक वायु सेना के लिए 40 फ्रांसीसी परिवहन विमान सी-295 का निर्माण टाटा समूह वडोदरा में करेगा। स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ 56 सी-295 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान खरीदने का सौदा पिछले साल 24 सितम्बर को फाइनल हुआ था। उस समय ही तय हुआ था कि अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 48 महीनों के भीतर स्पेन की कम्पनी भारत को 16 विमानों की ‘फ्लाइंग मोड’ में आपूर्ति करेगी। बाकी 40 विमानों का निर्माण टाटा कंसोर्टियम भारत में ही करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 अक्टूबर को गुजरात के वडोदरा में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला रखेंगे।

वायु सेना के वाइस चीफ एयर मार्शल संदीप सिंह ने बताया कि भारतीय वायु सेना अंततः इस सी-295 परिवहन विमान की सबसे बड़ी परिचालक बन जाएगी। परिवहन विमान का निर्माण उच्चतम स्वदेशी सामग्री से किया जायेगा। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारत में बने विमानों की आपूर्ति 2026 से 2031 के बीच की जाएगी जबकि स्पेन से 16 विमान बनकर 2023 से 2025 के बीच आएंगे। परिवहन विमान का 96 प्रतिशत निर्माण भारतीय संयंत्र में किया जाएगा। विमान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) बनाएगी। रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने कहा कि गुजरात के वडोदरा में 40 विमान बनाने के अलावा यह प्लांट वायु सेना की आवश्यकताओं और निर्यात के लिए अतिरिक्त विमानों का निर्माण करेगा।

दरअसल, यह अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसमें एक निजी कंपनी भारत में एक सैन्य विमान का निर्माण करेगी। यह परियोजना भारत में एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी, जिसमें देश भर में फैले कई एमएसएमई विमान के कुछ हिस्सों के निर्माण में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और घरेलू विमानन निर्माण परियोजना को बढ़ावा देगी, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम होने के साथ ही निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी। इससे भारतीय निजी क्षेत्र को विमानन प्रौद्योगिकी और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का मौका भी मिलेगा।

वायु सेना के लिए बनाया जाने वाला यह समकालीन तकनीक के साथ 5-10 टन क्षमता का एक परिवहन विमान है, जो पुराने एवरो विमान की जगह लेगा। त्वरित प्रतिक्रिया और सैनिकों और कार्गो के पैरा ड्रॉपिंग के लिए विमान में एक रियर रैंप दरवाजा लगाया गया है। सभी 56 विमानों को स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा। परियोजना के तहत भारत में ही डिटेल पार्ट्स, सब-असेंबली और एयरो स्ट्रक्चर के प्रमुख कंपोनेंट असेंबलियों का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना से भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में 600 उच्च कुशल प्रत्यक्ष रोजगार और 3000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होने की संभावना जताई गई है।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि परियोजना में हैंगर, भवन, एप्रन और टैक्सीवे के रूप में विशेष बुनियादी ढांचे का विकास शामिल होगा। स्पेन से 16 विमानों की सीधे आपूर्ति होने से पहले भारत में विमानों का निर्माण शुरू करने के लिए ‘डी’ लेवल की सर्विसिंग सुविधा स्थापित किये जाने की योजना है। उम्मीद है कि यह सुविधा सी-295 विमान के विभिन्न रूपों के लिए एक क्षेत्रीय एमआरओ हब के रूप में कार्य करेगी। इसके अलावा ओईएम भारतीय ऑफसेट पार्टनर्स से योग्य उत्पादों और सेवाओं की सीधी खरीद के माध्यम से अपने ऑफसेट दायित्वों का निर्वहन भी करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा। यह कार्यक्रम स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक अनूठी पहल है।

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