नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय वायु सेना ने अपने उन्नत मिग-29यूपीजी लड़ाकू विमानों को श्रीनगर में तैनात किया है। 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान पाकिस्तानी हवाई हमले को देखते हुए यह तैनाती की गई है। इसी के साथ वायु सेना मिग-29यूपीजी का कुल तकनीकी जीवन (टीटीएल) 10 वर्षों तक बढ़ाने की योजना बना रही है। अभी मिग-29 लड़ाकू विमानों का टीटीएल 40 साल है, जिसे दूसरा जीवन विस्तार देकर 50 साल किये जाने पर विचार किया जा रहा है। मिग-29 का उन्नत तकनीकी जीवन 2025 से समाप्त होना शुरू हो जाएगा।
भारतीय वायु सेना फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स मिग-29 के बेड़े के लिए दूसरा जीवन विस्तार कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है, जो उनकी सेवा अवधि को 40 साल से बढ़ाकर 50 साल कर देगा। 1986 में शामिल किये गए मिग-29 का पहला जीवन विस्तार कार्यक्रम 2000 के दशक के मध्य में शुरू किया गया था। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में मिग-29 के तकनीकी जीवन को 25 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष किये जाने की जानकारी दी थी। वायु सेना सूत्रों के अनुसार मिग-29 विमान का उन्नत तकनीकी जीवन 2025 से समाप्त होना शुरू हो जाएगा। पहले से ही लड़ाकू स्क्वाड्रन की संख्या कम होने और बेड़े में शामिल होने वाले विमानों की धीमी प्रगति को देखते हुए मिग-29 के बेड़े को अधिकतम समय तक सेवा में प्रभावी रखना जरूरी हो गया है।
वायु सेना सूत्रों के अनुसार इस परियोजना को नासिक के पास वायु सेना के 11 नंबर बेस रिपेयर डिपो में पूरा किया जाएगा, जिसे रूसी मूल के लड़ाकू विमानों की मरम्मत और ओवरहाल के लिए अधिकृत किया गया है। इसमें केवल भारतीय फर्मों को ही भाग लेने की अनुमति होगी। इस परियोजना के तहत विमान के एयरफ्रेम, इंजन, एवियोनिक्स, सब-असेंबली, परीक्षण, उड़ान डेटा का विकास, जंग हटाने, भार वहन करने वाले क्षेत्रों की मरम्मत और मजबूती जैसे संरचनात्मक संशोधन शामिल हैं। वायु सेना तीन स्क्वाड्रन में रूसी मूल के लगभग 66 मिग-29 लड़ाकू विमानों का संचालन करती है। इनमें दो स्क्वाड्रन आदमपुर और जामनगर में स्थित हैं, जबकि तीसरी को हाल ही में एक मिग-21 स्क्वाड्रन को बदलने के लिए श्रीनगर भेजा गया है।
पिछले दशक के उत्तरार्ध के दौरान मिग-29 में व्यापक संशोधन किये गए थे, जिससे उनकी युद्धक क्षमता बढ़ी थी। नए एवियोनिक्स, राडार, मिसाइल, हथियार नियंत्रण प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट के साथ एयरफ्रेम में संशोधन करने के बाद ही इनका नामकरण मिग-29 यूपीजी किया गया था। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान वायु सेना ने मिग-29 का इस्तेमाल लड़ाकू मिराज-2000 को एस्कॉर्ट करने के लिए किया था, जिससे लेजर-निर्देशित बमों के साथ उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों पर हमले लिए जा सके थे। चीन के साथ गतिरोध शुरू होने पर 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी विमानों का मुकाबला करने के लिए पूर्वी लद्दाख में भी मिग-29 को तैनात किया गया था।
भारतीय वायु सेना इस साल से 2025 तक मिग-21 बाइसन की 4 स्क्वाड्रनों को सेवानिवृत्त करेगी। वायु सेना अगले 15 वर्षों में लगभग 340 फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है, जिसमें 40 उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) मार्क-1, 83 तेजस मार्क 1ए, 106 तेजस मार्क-2 और 114 मध्यम दूरी के लड़ाकू विमान (एमआरएफए) हैं। इस अवधि में भारतीय वायुसेना मिग-21 की 4 स्क्वाड्रन को सेवानिवृत्त करेगी। वायु सेना एलसीए ट्रेनर कॉन्फ़िगरेशन के आधार पर तेजस मार्क-2 की 3 स्क्वाड्रन खरीद सकती है, तब रूसी मिग वेरिएंट की जगह मध्यम-वजन के लड़ाकू जेट तेजस मार्क-2 लेंगे।