मां और मातृभूमि के सम्मान करना ही एकता व एकात्मता : इंद्रेश कुमार

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि मां और मातृभूमि को प्यार करना, सम्मान करना ही त्याग, समृद्धि, एकता और एकात्मता है। हमें पूरी दुनिया को राह दिखानी है। हमारा डीएनए एक है और 14 अगस्त 1947 से पहले भी सभी भारतीय एक ही थे। उन्होंने कहा कि हिन्द, हिन्दू और हिंदुत्व से ही दुनिया में शांति है।

हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय ‘दीपोत्सव : पंच प्रण’ का शनिवार को समापन हो गया। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया। समापन सत्र में ‘एकता और एकात्मता’ विषय पर मुख्य अतिथि इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत तीर्थों, त्योहारों और मेलों का देश है। तीर्थ, त्योहार और मेले ही एकता और एकात्मता का मार्ग है। ये हमें कपड़ा, रोटी, छत और संस्कार देते हैं, इसलिए भारतीय मानवता और जीवन मूल्य सर्वश्रेष्ठ है। मेलों और त्योहारों से करोड़ों लोगों को रोजगार, रोटी मिलती है। कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। अगस्त माह में ही 48 लाख लोगों को वर्ष भर की रोटी मिल गई।

इंद्रेश कुमार ने अपने कई प्रयोगों के जरिये बताया कि ईश्वर ही पूरी दुनिया को चलाता है। ईश्वर ही अलग-अलग धर्मों, जातियों, देशों के लोगों को उनकी अपनी भाषा, देश, परिवेश के ही सपने दिखाता है। सभी को अपनी भाषा में ही सपना आता है, दूसरी भाषा में नहीं। हर रात को हमें सपने में ईश्वर आकर कहते हैं कि आप भारतीय थे, हो और रहोगे। हम एक थे, है और रहेंगे। सभी धर्म, जाति, लिंग होने के बाद भी हम एक है भारतीय है।

उन्होंने कहा कि हमारे चेहरों को बनाने वाला ईश्वर है। दुनिया मे सभी चीजें ईश्वर ही करता है। ईश्वर ने हमें एक बनाया है, विविधताएं कई दी है। प्रयोग के आधार पर उन्होंने कहा कि कर्म से ही अच्छा और बुरा तय होता है। एक ही कुल और डीएनए के होने के बाद भी कंस राक्षस कहलाएं तो श्रीकृष्ण भगवान बन गए। हम अपना धर्म बदल सकते हैं पूर्वज नहीं बदल सकते।

उन्होंने भारतीय संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि भोग में सम्मान हो सकता है, पूजा नहीं हो सकती। त्याग में पूजा होती है। इसी बल पर भारत विश्वगुरु बना। हम भोगवाद की दुनिया नहीं है, आदेश, त्याग और सेवा का समाज है। हमें दुनिया का नेतृत्व करना है। कर्म और किरदार तय करता है कि अच्छा है या बुरा है। ईसाई, इस्लाम में बहुत भेद है। हर समूह की पहचान उसके देश से होती है। हमारे देश के पांच नाम है, बाकी के एक ही है। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है। इनका सभी धर्मों में गुणगान है। उन्होंने मां का नाम लेकर पांच बार उच्चारण कराया और कहा कि ये ही पंच प्रण है। हमें पूरी दुनिया से बात करनी चाहिए। हमें स्वाभिमान के साथ जीना है। हम सबके मंगल की कामना करेंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद और आईजीएनसीए की ट्रस्टी डॉ. सोनल मानसिंह ने की। इस दौरान हिन्दुस्थान समाचार की पत्रिकाओं नवोत्थान के कुम्हारी कला पर आधारित और युगवार्ता के दीपावली की परंपरा पर आधारित विशेषांकों का विमोचन किया गया। दीपोत्सव के दौरान रंगोली, चित्रकला और कविता प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को कार्यक्रम में पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन पीएन द्विवेदी ने किया। हिन्दुस्थान समाचार के संपादक जितेंद्र तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष अरविंद भालचंद्र मार्दिकर, जितेंद्र तिवारी, राजेश तिवारी, संजीव कुमार, बृजेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

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