शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन पर प्रशासन की सख्ती, प्रदर्शनकारियों को जबरन उठा ले गई पुलिस

कोलकाता, 21 अक्टूबर (हि.स.)। नियुक्ति की मांग को लेकर साल्टलेक के पीएससी भवन स्थित प्राथमिक शिक्षा परिषद के मुख्यालय के पास लंबे समय से धरने पर बैठे टेट उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों के खिलाफ बल प्रयोग करते हुए पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया है। आधी रात को बिधाननगर पुलिस की टीम ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें वहां से जबरन हटा दिया। धरना स्थल पर गुरुवार देर रात पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को यह कहते हुए तितर-बितर कर दिया कि इलाके में धारा 144 लागू है। इसे लेकर माकपा और भाजपा ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के प्रधान कार्यालय के पास धरने पर बैठे लगभग 500 प्रदर्शनकारियों को हटा दिया, जिन्होंने 2014 की टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद मेधा (मेरिट) सूची से जगह बनाई है लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली है। इसका जो वीडियो और फोटो सामने आया है उसमें देखा जा सकता है कि आंदोलनरत महिला उम्मीदवारों को भी पुरुष पुलिसकर्मी घसीटते हुए पुलिस वाहन में डाल रहे हैं।

भाजपा नेत्री मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा है कि जिस तरह से पुलिस ने आंदोलनकारियों के साथ बर्बरता की है उसके खिलाफ राज्य भर में प्रदर्शन होंगे। इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पुलिस की बर्बरता का फोटो सोशल मीडिया पर डाला है और लिखा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अमानवीयता देखिए। बंगाल भाजपा के प्रभारी अमित मालवीय ने लिखा है कि पुलिस बर्बरता के खिलाफ राज्य भर में पार्टी प्रदर्शन करेगी।

बल प्रयोग से पूर्व प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दिया था। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत किसी क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक होती है। आदेश का उल्लंघन करना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडनीय है।

इससे पहले, प्रदर्शनकारियों ने धरनास्थल खाली करने की पुलिस की अपीलों नजरअंदाज कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा था कि वे सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के बाद ही धरना खत्म करेंगे।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने बार-बार अपील करने के बावजूद घटनास्थल से हटने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्हें रात 12 बजकर 35 मिनट पर स्थल से हटाने के लिए “मामूली बल” प्रयोग किया गया।

हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनमें से महिला उम्मीदवारों का शारीरिक उत्पीड़न किया है। एक प्रदर्शनकारी शीला दास ने आरोप लगाया, “पुलिसकर्मियों ने हमारे साथ मारपीट की। उन्होंने हमें घसीटा और वाहनों में डाल दिया। यहां तक कि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया।”

पुलिस ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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