नई दिल्ली / मुंबई 17 अक्टूबर (हि.स.)। संस्कार भारती के पूर्व महामंत्री “कला ऋषि” अमीरचंद की पुण्यतिथि पर सोमवार को मुंबई में सांस्कृतिक कार्यक्रम “अमीरोत्सव” का आयोजन किया गया। इस उत्सव में प्रसिद्ध मराठी निर्देशक, राजदत्त, फिल्म निर्देशक सुभाष घई, प्रसिद्ध अभिनेता, गायक एवं सांसद मनोज तिवारी, संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक पद्मश्री वामन केंद्रे एवं कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें।
उल्लेखनीय है कि अमीरचंद का पिछले साल अरुणाचल प्रदेश के तवांग में निधन हो गया था। नेशन फर्स्ट कलेक्टिव के समन्यवक आकाशादित्य लामा ने कहा कि दिवंगत कला ऋषि को श्रद्धांजलि के रूप में, नेशन फर्स्ट कलेक्टिव (एनएफसी) ने अमीरचंद के नाम पर एक पुरस्कार का गठन किया है, जो हर वर्ष सांस्कृतिक क्षेत्र से महान उपलब्धि हासिल करने वालों को दिया जाएगा।
अमीरचंद के प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित “अमीरोत्सव” को सम्बोधित करते हुए संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कहा कि यह शोक सभा नहीं वरन एक उत्सव है क्योंकि अमीरचंद भव्यता के उपासक थे और कला को पुर्नस्थापित करने में उन्होंने सम्पूर्ण जीवन दिया है। अतः उनके सम्मान में प्रतिवर्ष ऐसे ही उत्सव स्वरूप भविष्य में कार्यक्रम आयोजित करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धा होगी।
वरिष्ठ मराठी निर्देशक राजदत्त ने कहा अमीरचंद कहीं नहीं गए हैं। उनके विचार और मार्गदर्शन सदैव हमारे बीच हैं और रहेगा। उत्सव को सम्बोधित करते हुए वामन केंद्रे ने कहा की अमीरचंद कहा करते थे कला एवं संस्कृति से ही भारत विश्वगुरु बनेगा। वहीं सुभाष घई ने कहा की वो अमीरचंद से मिलने के बाद से उनके एवं कार्यों के प्रति समर्पित हैं।
लोकसभा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि कल्चर मैपिंग के संदर्भ में अमीरचंद की दूरदृष्टि से कलाकारों के संयोजन एवं संवर्धन, विशेषकर कोरोना काल में आर्थिक सहायता के रूप एक महान कार्य हुआ।
नेशन फर्स्ट कलेक्टिव के बारे में
नेशन फर्स्ट कलेक्टिव (एनएफसी), कई राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने और पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज की पहली पुण्यतिथि पर, हिंदी दिवस और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और विभिन्न कला, संस्कृति और सिनेमा से संबंधित गतिविधियों और मानवीय कार्यों का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापना संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री रहे स्वर्गीय अमीरचंद द्वारा की गई थी