BrahMos-NG Missile :यूपी डिफेंस कॉरिडोर में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल का उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया हुई तेज

29HNAT51 यूपी डिफेंस कॉरिडोर में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल का उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया हुई तेज

– पूर्व वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया को मुख्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया

– यूपीडीआईसी में सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य

नई दिल्ली, 29 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर में अत्याधुनिक मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी का उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। पूर्व वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया को उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) के लिए गुरुवार को मुख्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। यहां अगले तीन साल में (2025 तक) अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलों (ब्रह्मोस-एनजी) का निर्माण शुरू किये जाने की योजना है। शुरू में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया गया है, लेकिन पांच से सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य है।

देश के दूसरे डिफेंस कॉरिडोर लखनऊ में 2025 तक अत्याधुनिक मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी का निर्माण शुरू करने के लिहाज से तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए कॉरिडोर के लखनऊ नोड में 80 एकड़ भूमि चिह्नित करके 26 दिसंबर, 2021 को शिलान्यास भी हो चुका है। शुरू में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया गया है। इसके बाद पांच से सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य है। इस बाबत डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और रशियन कंपनी एनपीओएम के बीच मेमोरंडम ऑफ अंडरटेकिंग (एमओयू) हो चुका है। ये कंपनियां शुरू में 300 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी।

डिफेंस कॉरिडोर में कुल छह (झांसी, चित्रकूट, कानपुर, अलीगढ़, लखनऊ और आगरा) नोड्स हैं। इकाई लगाने वालों के लिए अब तक करीब 1643 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की जा चुकी है। इसमें से करीब 1600 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। निवेश के लिए कुल 93 एमओयू भी हो चुके हैं। इसमें से 72 इंडस्ट्रियल इकाइयों से और 21 संस्थाओं के साथ किए गए हैं। सर्वाधिक 35 एमओयू अलीगढ़ नोड्स के लिए हुए हैं। लखनऊ, कानपुर, झांसी और आगरा नोड्स के लिए क्रमशः 15, 12, 9 और 2 एमओयू हुए हैं। 30 कंपनियों को भूमि आवंटित की गई है, 27 को दी भी जा चुकी है।

ब्रह्मोस-एनजी मौजूदा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का एक छोटा संस्करण है। इसे ग्राउंड-बेस्ड, एरियल, सरफेस और अंडरवाटर-बेस्ड प्लेटफॉर्म पर तैनात करने के लिए बनाया गया था। मिसाइल का आकार और वजन इसे पनडुब्बियों से भी लॉन्च करने में सक्षम बनाता है। मिसाइल की लंबाई छह मीटर, व्यास 50 सेंटीमीटर और इसका वजन 1.6 टन है। पहले वाले संस्करण का वजन 3 टन था और उसकी लम्बाई 9 मीटर थी। मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी और यह 3.5 मैक की गति से उड़ सकती है। ब्रह्मोस-एनजी में कम रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) है, जिससे दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को इसकी भनक तक नहीं मिलेगी। नई मिसाइल में स्वदेशी एईएसए रडार भी होगा।

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