– सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति 31 अगस्त को दे चुकी है एलसीए तेजस एमके-2 परियोजना को मंजूरी
– हवाई युद्ध का महत्वपूर्ण हथियार बनने वाले मार्क-2 के 210 विमानों का ऑर्डर दे सकती है वायु सेना
नई दिल्ली, 19 सितम्बर (हि.स.)। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 (एलसीए) का उत्पादन 2028-29 तक शुरू करेगा। वायु सेना 210 से अधिक एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने 31 अगस्त को एलसीए तेजस एमके-2 की बहुप्रतीक्षित परियोजना को मंजूरी दी थी, जो भारत के लिए भविष्य में हवाई युद्ध का महत्वपूर्ण हथियार बनने की उम्मीद है।
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की मंजूरी मिलने के बाद दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 (एलसीए) के अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरने का रास्ता साफ हो गया है। एलसीए मार्क-2 का प्रोटोटाइप वर्जन अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरेगा। व्यापक उड़ान परीक्षणों के बाद यह परियोजना वर्ष 2027 तक पूरी होगी। इसके बाद एचएएल मार्क-2 (एलसीए) का उत्पादन 2028-29 तक शुरू करेगा। वायु सेना 210 से अधिक एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकती है।
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एलसीए मार्क-2 भारत में निर्मित होने वाला सबसे उन्नत युद्धक विमान है। एलसीए मार्क-2 का निर्माण होने के बाद तेजस डिफेंसिव एयरक्राफ्ट का तमगा खोकर अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से विकसित किए जा रहे नए विमान में 6.5 टन की पेलोड क्षमता होगी और यह कई मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा। साथ ही इसमें हवा से हवा में मार करने वाली सात मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली चार मिसाइलें, एक एंटी रेडिएशन मिसाइल, पांच बम लगाए जा सकते हैं। तेजस मार्क-2 में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकती है। इसके अलावा निर्भय, स्टॉर्म शैडो, अस्त्र, मीटियोर, असराम और क्रिस्टल जैसी मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं।
एचएएल के मुताबिक 17.5 टन वजनी इस लड़ाकू विमान को उच्च थ्रस्ट वाले जीई एफ 414-आईएनएस 6 इंजन के साथ संचालित किया जाएगा, जबकि पहले एलसीए वेरिएंट में एफ 404 इंजन लगाया गया है। तेजस मार्क-2 की गति मैक 2 यानी 3457 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इसकी मारक रेंज 2500 किलोमीटर होगी। यह 56 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसमें 23 मिलीमीटर की जीएसएच-23 गन होगी। इस विमान में प्रीसिशन गाइडेड बम, लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर बम, अनगाइडेड बम और स्वार्म बम लगाए जा सकते हैं। तेजस का दूसरा पार्ट दोगुनी शक्ति के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगा।
नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में मिसाइलों को लगाने की क्षमता दोगुना तक बढ़ाई गई है। पहले 4 टन युद्धक सामग्री ही ले जा सकते थे लेकिन अब 7 टन तक क्षमता बढ़ा दी गई है। इसमें मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम लगाया गया है। इसलिए पीछे से मिसाइल अटैक होने पर विमान बैक साइड में इतना घना धुआं छोड़ देगा कि दुश्मन की मिसाइल कंफ्यूज होकर निशाने से चूक जाएगी। तेजस मार्क-2 के कॉकपिट में वायस कमांड भी दिया गया है, ताकि पायलट को बटन पुश करने का समय न होने पर वह आवाज देकर ही मिसाइल अटैक कर सकता है। इस तरह के अटैक में राफेल फाइटर प्लेन से ज्यादा प्रभावी होगा। सबसे बड़ी बात ये है कि तेजस का नया वर्जन मार्क-2 वायु सेना में मिग-29, जगुआर और मिराज फाइटर प्लेन की जगह लेगा।