कहा- उनके पास नहीं जा सका, लेकिन लाखों माताएं दे रहीं आशीर्वाद
भोपाल, 17 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश में कराहल (श्योपुर) में आयोजित महिला स्व-सहायता समूह सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपनी मां को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि अगर मेरे जन्मदिन पर कोई कार्यक्रम नहीं रहता तो मैं अपनी मां के पास जाता और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेता। आज मैं अपनी मां के पास नहीं जा सका, लेकिन आज जब मेरी मां देखेगी कि मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल की लाखों माताएं मुझे आशीर्वाद दे रही हैं, तो उनको जरूर संतोष होगा।
प्रधानमंत्री मोदी कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़ने के बाद हेलिकॉप्टर से कराहल पहुंचे थे। वे यहां महिला स्व-सहायता समूहों के सम्मेलन में शामिल हुए। प्रधानमंत्री योजना के तहत चार कौशल केंद्रों का लोकार्पण किया। ये योजनाएं विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए काम करेंगी।
समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर कोई कार्यक्रम नहीं है तो मेरा प्रयास रहता है कि मैं मेरी मां के पास जाऊं और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लूं। आज मैं मां के पास तो नहीं जा सका, लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल की यह लाखों माताएं मुझे आशीर्वाद दे रही हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के मेरे भाइयों-बहनों, हमने आपको यह चीता इसलिए भेंट किया है, क्योंकि हमारा विश्वास आप पर ज्यादा है। मध्यप्रदेश ने कभी मेरे भरोसे पर आंच नहीं आने दी है और मैं जानता हूं कि श्योपुर के भाई-बहन भी मेरे विश्वास को टूटने नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि स्व सहायता समूह आज राष्ट्रीय सहायता समूह बन चुके हैं। मुझे बताया गया कि मध्य प्रदेश में 3000 से अधिक नल जल परियोजनाओं का प्रबंधन आज स्व सहायता समूह के हाथ में है। मध्यप्रदेश में आदिवासी बहनों द्वारा बनाए बेहतरीन उत्पादों की बहुत अधिक प्रशंसा भी होती रही है। पीएम कौशल विकास योजना के तहत आदिवासी क्षेत्रों में नए स्किलिंग सेंटर से इस प्रकार के प्रयासों को और बल मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्योपुर में लकड़ी पर नक्काशी का इतना अच्छा काम होता है कि इसकी देश में बहुत बड़ी डिमांड है। मेरा आग्रह है कि आप अधिक से अधिक इसमें खुद को, अपने उत्पादों को जेम (GeM) में रजिस्टर्ड करवाइए। मध्यप्रदेश में जनजातीय बहनों द्वारा बनाए बेहतरीन उत्पादों की बहुत अधिक प्रशंसा भी होती रही है। पीएम कौशल विकास योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों में नए स्किलिंग सेंटर से इस प्रकार के प्रयासों को और बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत की कोशिशों से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज के रूप में मनाने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश पोषण से भरे इस मोटे अनाज के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में है।