नई दिल्ली, 17 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आईटीआई से तकनीकी प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की सेना में भर्ती के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री आज कौशल दीक्षांत समारोह में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के छात्रों को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पहली बार आईटीआई के 9 लाख से अधिक विद्यार्थियों का कौशल दीक्षांत समारोह आयोजित कर इतिहास रचा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लगभग 40 लाख से अधिक विद्यार्थी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर अपने कौशल से छात्र नवाचार के पथ पर पहला कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आपकी शुरुआत जितनी सुखद है, आपकी भविष्य की यात्रा भी उतनी ही सृजनात्मक होगी।”
विश्वकर्मा जयंती पर विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गरिमा और कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व है। भगवान की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार की सादृश्यता दिखाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम सभी के लिए बड़े गर्व की बात है कि विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर छात्रों के कौशल का सम्मान और सम्मान किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “विश्वकर्मा जयंती हर उस व्यक्ति का सम्मान है जो सही मायने में कड़ी मेहनत करता है, यह श्रम का दिन है।”
पिछले आठ वर्षों में सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाओं की शुरुआत की है और कौशल विकास पर जोर देकर ‘ श्रम एव जयते’ की परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे भारत की सदी बनाने के लिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि देश के युवा शिक्षा के साथ-साथ कौशल में भी समान रूप से कुशल हों। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं के कौशल विकास और नए संस्थानों के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे देश में पहला आईटीआई, 1950 में बना था। इसके बाद के सात दशकों में 10 हजार आईटीआई बने। हमारी सरकार के 8 वर्षों में देश में करीब-करीब 5 हजार नए आईटीआई बनाए गए हैं। बीते 8 वर्षों में आईटीआई में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें भी जोड़ी गई हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आईटीआई के अलावा देश भर में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान, भारतीय कौशल संस्थान और हजारों कौशल विकास केंद्र भी खोले गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार स्कूल स्तर पर कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 5000 से अधिक स्किल हब भी खोलने जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद अनुभव आधारित शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और स्कूलों में कौशल पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए कहा कि 10 वीं पास करने के बाद आईटीआई में आने वालों को नेशनल ओपन स्कूल के माध्यम से 12 वीं का क्लियरिंग सर्टिफिकेट आसानी से मिल जाएगा। इससे आपको आगे की पढ़ाई में आसानी होगी। कुछ माह पहले सरकार द्वारा घोषित अग्निवीर योजना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आईटीआई से तकनीकी प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की सेना में भर्ती के लिए विशेष प्रावधान है। उन्होंने कहा कि आईटीआई से निकले युवाओं को सेना में भी मौका मिलेगा।
चौथी औद्योगिक क्रांति, ‘उद्योग 4.0’ के युग के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलता में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि समय के साथ नौकरी की प्रकृति बदल रही है, इसलिए सरकार ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि आईटीआई में पढ़ने वाले छात्रों को भी हर आधुनिक पाठ्यक्रम की सुविधा मिले। पाठ्यक्रमों की उपलब्धता के बारे में बताते हुए मोदी ने कहा कि आईटीआई में कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन तकनीक और टेलीमेडिसिन से संबंधित कई कोर्स शुरू किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अक्षय ऊर्जा, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में अग्रणी है, ऐसे क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम हमारे कई आईटीआई में शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आप जैसे छात्रों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त करना आसान होगा।
हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर उपलब्ध कराने और लाखों कॉमन सर्विस सेंटर खोलने के हाल के घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे देश में तकनीक का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईटीआई से पास हुए विद्यार्थियों के लिए गांवों में अधिक से अधिक अवसर सृजित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “गांव में मोबाइल मरम्मत का काम हो या कृषि में नई तकनीक का काम हो, खाद का छिड़काव हो या ड्रोन की मदद से दवा की आपूर्ति हो, ऐसे कई नए रोजगार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जुड़ रहे हैं।” इसमें आईटीआई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, हमारे युवाओं को इन संभावनाओं का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार भी इसी तरह के विजन को ध्यान में रखते हुए आईटीआई को अपग्रेड करने के लिए लगातार काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि कौशल विकास के साथ-साथ युवाओं में सॉफ्ट स्किल का होना भी उतना ही जरूरी है। मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि व्यवसाय योजना बनाना, बैंक से ऋण प्राप्त करने की योजना, आवश्यक फॉर्म भरना और नई कंपनी का पंजीकरण जैसी चीजें पाठ्यक्रम के भाग के रूप में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “सरकार के इन प्रयासों का परिणाम है कि आज भारत में कौशल में गुणवत्ता और विविधता भी है। पिछले कुछ वर्षों में, हमारे आईटीआई पास-आउट ने विश्व कौशल प्रतियोगिताओं में कई बड़े पुरस्कार जीते हैं।
कौशल विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब एक युवा में शिक्षा की शक्ति के साथ-साथ कौशल की शक्ति भी होती है, तो उसका आत्मविश्वास अपने आप बढ़ जाता है। जब युवा कौशल के साथ सशक्त होकर सामने आता है, तो उसे एक विचार आता है कि वह अपना काम कैसे शुरू करे, इस स्वरोजगार की भावना का समर्थन करने के लिए। प्रधान मंत्री ने मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं की शक्ति पर प्रकाश डाला, जो बिना गारंटी के ऋण प्रदान करती हैं।
आजादी का अमृत काल की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए मोदी ने कहा कि हमारे जीवन के अगले 25 वर्ष भारत के लिए अगले 25 वर्षों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “आप सभी युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार हैं। आप भारत के उद्योग जगत की रीड की हड्डी की तरह हैं और इसलिए विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में, आपकी बड़ी भूमिका है।”
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से अपने कौशलों को उन्नत करने की आवश्यकता दोहराते हुए कहा कि आपने आज जो सीखा है, वो आपके भविष्य का आधार जरूर बनेगा, लेकिन आपको भविष्य के हिसाब से अपने कौशल को उन्नत भी करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए आपका मंत्र ‘स्किलिंग’, ‘री-स्किलिंग’ और ‘अप-स्किलिंग’ होना चाहिए।