केंद्र सरकार को चार हफ्ते में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
नई दिल्ली, 16 सितंबर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को और समय दे दिया है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी 2023 को होगी।
हाईकोर्ट ने जुलाई में प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव को इस मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एक पेज का हलफनामा दाखिल करने पर नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान 26 अप्रैल को याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्री संवैधानिक पदों पर हैं और उन्हें इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दीवान ने कहा था कि सवाल ये है कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति संविधान से इतर एक समूह का निर्माण कर कार्य कर सकते हैं। ये फंड देश के प्रधानमंत्री से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है। इस ट्रस्ट के बोर्ड में रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पदेन सदस्य हैं।
उन्होंने कहा था कि जैसे ही पदेन शब्द सामने आता है इसका मतलब है कि जो भी उस पद पर बैठेगा वो बोर्ड में शामिल होगा। तब कोर्ट ने दीवान से पूछा था कि आपके कहने का ये मतलब है कि ट्रस्ट का गठन नहीं किया जा सकता है। तब दीवान ने कहा था कि ट्रस्ट का गठन किया जा सकता है। लेकिन अगर ये सरकार है तो उसे सभी संवैधानिक दायित्व पूरे करने होंगे। आप संविधान के बाहर जाकर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान 11 अक्टूबर 2021 को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड में आनेवाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं आता है। इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने 23 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं। श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है। हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है तो सीएजी के पैनल का है। पीएम केयर्स फंड की ऑडिट रिपोर्ट इसकी वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है।
कोर्ट ने 17 अगस्त 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका सम्यक गंगवाल ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर किया। उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरुपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरुपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है। दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है।