नई दिल्ली, 16 सितंबर (हि.स.)। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि देश की नई शिक्षा नीति डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों एवं दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने आगे कहा कि कई जटिल कानूनों को बदलने वाले चार श्रम संहिताएं, मजदूरों के लिए सार्वभौमिक खाता संख्या डॉ. अम्बेडकर की दूरदृष्टि का परिणाम है।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को ‘अंबेडकर एंड मोदी: रिफॉर्मर्स आइडियाज परफॉर्मर्स इम्प्लीमेंटेशन’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन, केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ एल मुरुगन मौजूद रहे।
इस मौके पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश बालकृष्णन ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को भारत के महानतम विचारकों के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार की नीतियां डॉ. अंबेडकर द्वारा प्रस्तुत भारत के विचार के सार को लागू कर रही हैं।
इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पुस्तक बाबा साहेब डॉ अंबेडकर के विचारों का एक संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि पिछले आठ सालों में नरेंद्र मोदी द्वारा डॉ अंबेडकर के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए किए जा रहे कठोर प्रयासों का एक दस्तावेज है। अंबेडकर ने समानता, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भेदभाव रहित समाज की कल्पना की थी, जिसने हाशिए के लोगों को मुख्यधारा में लाया है।
सरकार के मूल दर्शन को रेखांकित करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि वह दलितों एवं वंचित वर्गों के लिए समर्पित रहेंगे। तब से, सरकार के कार्यों और नीतियों में अंत्योदय की झलक दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना ने 34 करोड़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े समुदाय के सदस्यों को 18 लाख करोड़ रुपये की गारंटी के बिना ऋण प्रदान करने में मदद की है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों में उज्ज्वला योजना के 3.1 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं और ऐसे समुदायों के सदस्यों को 1.31 करोड़ पक्के घर प्रदान किए गए हैं। बाबा साहेब के सम्मान में मोदी सरकार ने पंच तीर्थ का गठन किया।