हिंदी दिवस समारोह’ व ‘द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में शामिल हुए केन्द्रीय मंत्री शाह
भविष्य में भाषाओं के क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनने के लिए नयी शिक्षा नीति को बताया कारगर
गुजराती साहित्य हिन्दी से जुड़ा हुआ है और शब्दों और लिपि में भी है समानता: मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल
सूरत/अहमदाबाद, 14 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा के रूप में उपलब्ध कराने की नीति लागू की गई है। चिकित्सा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को भी मातृभाषा में संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस शिक्षा नीति से भारत भविष्य में भाषाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।
केंद्रीय गृह शाह यहां सूरत में ‘हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह और ‘दूसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि सूरत की पवित्र भूमि से भाषाओं के महत्व को उजागर करने वाले वीर नर्मद देश में पहले थे। उन्होंने अंग्रेजों से देश के मामलों को हिंदी में चलाने के लिए जोर दिया। सूरत उत्साह और मनोरथ को सिध्द करने वाली भूमि है।
बच्चों को मातृभाषा और राजभाषा में शिक्षित करने की वकालत करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आइए हम सब अपनी मातृभाषा के माध्यम से देश को अगले 25 वर्षों में उच्चतम ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प लें। भारत की भाषाएं दुनिया की सबसे समृद्ध भाषाएं हैं। हिंदी लोगों की राजभाषा है और इसे बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की नीति बनाई गई है। चिकित्सा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को भी मातृभाषा में संचालित करने के लक्ष्य पर काम चल रहा है। इस नीति से भारत भविष्य में भाषाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। हमारी संस्कृति, इतिहास और कई पीढ़ियों की साहित्यिक रचना को समझने के लिए राजभाषा जानना आवश्यक है। उन्होंने देश के युवाओं से अनुरोध किया कि वे अपनी मातृभाषा और राजभाषा को स्वीकार करें और अपनी मातृभाषा को घर में संचार की भाषा के रूप में अपनाएं। गृह मंत्री ने हिंदी भाषा को सभी भारतीय भाषाओं की मित्र बताते हुए कहा कि हिंदी भाषा के समृद्ध होने से सभी भाषाएं समृद्ध होंगी। हिंदी को लोकप्रिय बनाना जरूरी है। उन्होंने हर भाषा को जीवंत और समृद्ध बनाने का लक्ष्य निर्धारित करने की अपील की।
इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि भारत के भील की बिंदी है हिंदी’ है। विभिन्न भाषाओं वाले देश में हिंदी दिवस का उत्सव एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। 19वीं शताब्दी में गुजरात में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज को बढ़ावा देने के लिए हिंदी में सत्यार्थप्रकाश पुस्तक लिखी थी। गुजराती साहित्य भी हिन्दी से जुड़ा हुआ है और शब्दों और लिपि में भी समानता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सभी मातृभाषाएं अलग हो सकती हैं लेकिन राजभाषा एक है।
इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राजभाषा के महत्व को समझाया और कहा कि राजभाषा एक ऐसी भाषा है, जो ज्ञान, संस्कृति और परंपरा का पोषण करती है। उन्होंने ‘राजभाषा’ के ‘स्वर्ण युग’ के बाद से हिंदी भाषा के लिए देश में देखे गए सकारात्मक बदलाव का विवरण दिया।
इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने ‘हिंदी शब्द सिंधु’ (संस्करण-1) शब्दकोश व विश्वस्तरीय अनुवाद उपकरण ‘कंथस्थ-2.0’ का विमोचन भी किया। इसरो द्वारा प्रकाशित पुस्तक का भी विमोचन किया। राजभाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य प्रदान करने के लिए मंत्रियों के कर कमलों से राजभाषा कीर्ति और गौरव पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री दर्शन जरदोश, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी, राज्य के वित्त मंत्री कानू देसाई, परिवहन मंत्री पूर्णेश मोदी, कृषि और ऊर्जा राज्य मंत्री मुकेश पटेल, शहरी विकास राज्य मंत्री विनोद मोर्डिया, राजभाषा सचिव असुली आर्य, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भर्तुहारी महताब के अलावा कई जनप्रतिनिधि और केंद्र व राज्य के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी, बैंक प्रतिनिधि और हिंदी विद्वान मौजूद रहें।