नई दिल्ली, 12 सितंबर (हि.स.) । भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमानों के मुताबिक सरकार का स्वास्थ्य पर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में 1.15 फीसदी (2013-14) से बढ़कर 1.28 फीसदी (2018-19) हो गया है। सोमवार को जारी 2018-19 की एनएचए रिपोर्ट के मुताबिक देश में स्वास्थ्य पर होने वाले कुल व्यय में सरकार के स्वास्थ्य व्यय का हिस्सा 28.6 फीसदी (2013-14) से बढ़कर 40.6 फीसदी (2018-19) हो गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक साल 2018-19 का एनएचए अनुमान से स्वास्थ्य पर सरकार के खर्च में बढ़ोतरी के साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में बढ़ते विश्वास की भी झलक मिलती है। स्वास्थ्य पर सामाजिक सुरक्षा खर्च का हिस्सा भी बढ़ा है, जिसमें सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं और सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली चिकित्सा प्रतिपूर्ति शामिल हैं। कुल स्वास्थ्य व्यय के रूप में वृद्धि 2013-14 में 6 फीसदी से बढ़कर 2018-19 में 9.6 प्रतिशत हो गई है।
स्वास्थ्य पर लोगों के जेब से होने वाले खर्च में आई कमी
सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों की वजह से कुल स्वास्थ्य व्यय के हिस्से के रूप में लोगों की तरफ से जेब खर्च (ओओपीई) के तौर पर होने वाला व्यय 2013-14 में 64.2 फीसदी की तुलना में 2018-19 में 48.2 फीसदी रह गया। यहां तक कि प्रति व्यक्ति ओओपीई के मामले में भी 2013-14 से 2018-19 के बीच 2,336 रुपये से घटकर 2,155 रुपये हो गया है। मंत्रालय ने कहा कि इस गिरावट का एक कारण सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के उपयोग में वृद्धि और सेवाओं की लागत में कमी है।
एनएचए की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि रिपोर्ट से राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के तहत निर्धारित सार्वभौमिक स्वास्थ्य लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि कुल सरकारी खर्च का 55.2 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रहा है।
राजेश भूषण ने कहा कि सरकारी कोशिशों और स्वास्थ्य सेवा मजबूत होने के कारण लोगों के सेहत पर होने वाले खर्च में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है जो देश में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है। सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र में वृद्धि की सही दिशा में आगे बढ़ रही है, क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर अधिक जोर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्वास्थ्य व्यय में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का हिस्सा 2013-14 में 51.1 फीसदी से बढ़कर 2018-19 में 55.2 फीसदी हो गया है। प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सुविधाओं का कुल सरकारी स्वास्थ्य व्यय में 80 फीसदी हिस्सेदारी है। रिपोर्ट के मुताबिक निजी क्षेत्र का तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में हिस्सा बढ़ा है, लेकिन प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र में गिरावट आई है।