कोटा, 12 सितंबर (हि.स.)। कोटा के एमएसएमई उद्यमियों के लिए रक्षा क्षेत्र अनंत संभावनाओं से भरा है। हमारी कोशिश है कि रक्षा क्षेत्र में काम कर रही सरकारी और निजी कम्पनियों की मदद से इन एमएसएमई यूनिट्स को नई दिशा दी जाए। ऐसा करके ही हम कोटा का औद्योगिक गौरव लौटा पाएंगे।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार नेशनल डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। कोटा के दशहरा मैदान में आयोजित इस कॉन्क्लेव को कोटा और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक बताते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के तहत सरकार ऐसी नीतियां और कार्यक्रम लाई है जिसमें नवाचार के माध्यम से उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है। सरकार मेक इन इंडिया को भी एक संकल्प के रूप में लेते हुए रिसर्च और डेवलपमेंट को प्रोत्साहित कर रही है। एक ओर न सिर्फ हम अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं बल्कि अब रक्षा क्षेत्र में इम्पोर्टर से एक्सपोर्टर बन रहे हैं।
लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हमारी महत्वाकांक्षा नहीं बल्कि आवश्यकता है। तेजी से बदलती तकनीक के इस जमाने में युद्ध आमने-सामने नहीं लड़े जाते। इलेक्ट्रोनिक, टेक्नोलॉजिकल और आईटी प्लेटफार्म के जरिए सीमा से दूर रहते हुए भी हम युद्ध को नियंत्रित कर सकते हैं। ऐसे में बहुत आवश्यक है कि तीनों प्लेटफॉर्म हमारे स्वयं के नियंत्रण में हों। इसमें एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स की अहम भूमिका है। देश में बढ़ती रोजगार आवश्यकताओं की पूर्ति में भी एमएसएमई और स्टार्टअप अहम योगदान दे सकते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि कोटा के एमएसएमई उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में काम कर रही सरकारी और निजी कंपनियों के साथ इंटीग्रेट करें ताकि यहां भी डिफेंस से जुड़ा उद्योग पनप सके।
केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव संजय जाजू ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में कोटा देश को सबसे काबिल युवा देता है। यदि इन युवाओं को अपनी पढ़ाई के दौरान ही रक्षा क्षेत्र का परिचय मिले तो हम उनमें टेक्नोलॉजी के साथ एंटरप्रेन्योरशिप का माइंड सेट भी तैयार कर सकते हैं। सरकार आज हर तरह से एमएसएमई और स्टार्टअप्स के साथ खड़ी है। उन्हें बढ़ावा देने के लिए कई तरह के उपकरण भारतीय कम्पनियों से खरीदने की शर्त भी रख दी गई है। कोटा के एमएसएमई उद्यमियों और स्टार्टअप्स को भी इस मौके का लाभ लेना चाहिए।
एसआईडीएम के अध्यक्ष और महिन्द्रा डिफेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीप्रकाश शुक्ला ने कहा कि एक छोटी सी कार बनाने में 200 एमएसएमई का सहयोग चाहिए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिफेंस उपकरण बनाने में कितनी एमएसएमई का सहयोग चाहिए। एमएसएमई अपने उत्पाद बेचने के लिए भारी और मध्यम उद्योग पर निर्भर है, लेकिन भारी और माध्यम उद्योग अपने उत्पाद बनाने के लिए एमएसएमई पर निर्भर हैं। कोटा में केमिकल, रेयॉन, फर्टीलाइजर्स क्षेत्र में पहले से काम हो रहा है। अब यहां के उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए आगे आना होगा।