-मोदी और जिनपिंग की संभावित बैठक को लेकर उत्सुकता
नई दिल्ली, 11 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 22वीं शिखरवार्ता में भाग लेने के लिए 15-16 सितंबर को समरकंद (उज्बेकिस्तान) का दौरा करेंगे।
सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी भाग लेंगे। एससीओ की यह बैठक यूक्रेन युद्ध, ताइवान और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती हुई गतिविधियों की छाया में हो रही है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री एसीओ के राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री के कुछ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी संभावना है। हालांकि मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किन देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।
एससीओ शिखर सम्मेलन में एससीओ सदस्य देशों के नेता, पर्यवेक्षक देश, एससीओ के महासचिव, एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के कार्यकारी निदेशक, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति और अन्य आमंत्रित अतिथि शामिल होंगे।
मंत्रालय के अनुसार शिखर सम्मेलन के दौरान बैठक में शामिल नेता पिछले दो दशकों में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा और वर्तमान तथा भविष्य में बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा कर सकते हैं। बैठक में क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के सामयिक मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एससीओ की बैठक से इतर द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। मोदी और राष्ट्रपति शी की संभावित बैठक के पहले भारत-चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) से सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाने का काम शुरू कर दिया है। यह काम 12 सितंबर तक पूरा हो जाएगा तथा दोनों पक्ष इसका सत्यापन करेंगे।
पूर्व में इससे मिलते-जुलते घटनाक्रम में 2017 में डोकलाम में दोनों देशों के बीच सैन्य तनातनी से उत्पन्न हालात को सामान्य बनाया गया था। डोकलाम में 28 अगस्त 2017 में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थीं, जिसके बाद ब्रिक्स शिखरवार्ता के दौरान पांच सितंबर को मोदी और शी के बीच बैठक संभव हो पाई थी।
उल्लेखनीय है कि समरकंद में यह दोनों नेता मिलते हैं तो पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में जून 2020 में हुए सैन्य संघर्ष के बाद यह पहली बैठक होगी। हालांकि दोनों नेता ब्रिक्स और एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए भाग ले चुके हैं।
सीमा विवाद और पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम के संदर्भ में दोनों देशों के बीच वार्ता और संपर्क में यह स्पष्ट किया जाता रहा है कि दोनों पक्ष इन मुद्दों पर शीर्ष नेताओं के मार्ग निर्देशन के अनुरूप काम करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी अपनी संभावित मुलाकात के दौरान सीमा विवाद के बारे में किसी सहमति पर पहुंच सकते हैं। इसका असर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति कायम रखने और शांति बनाए रखने पर पड़ेगा।