प्रधानमंत्री का लोगों से आह्वान, देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाएं

-कहा, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा भारत, सरकार के प्रयास से भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 46वें स्थान पर पहुंचा

नई दिल्ली, 10 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत के वैज्ञानिकों की भूमिका को अहम बताते हुए देशवासियों से भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने का आह्वान किया है। साथ ही सभी राज्यों से विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी पर आधुनिक नीति तैयार कर उसे लागू करने की जरूरत पर बल दिया।

प्रधानमंत्री शनिवार को गुजरात के अहमदाबाद की साइंस सिटी में आयोजित दो दिवसीय ‘केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन’ का उद्घाटन करने के बाद सभा के पहले सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन हमारे सबका विकास के मंत्र का एक उदाहरण है। स्वदेशी कोरोना वैक्सीन सहित तमाम क्षेत्रों में भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम अपने वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं तो विज्ञान समाज और संस्कृति का हिस्सा बन जाता है।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी दुनिया की तुलना में हमने अपने वैज्ञानिकों का उतना सम्मान नहीं किया। इसलिए आज सबसे पहला आग्रह मेरा यही है कि हम अपने देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को जमकर जश्न मनाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत के विकास में विज्ञान उस ऊर्जा की तरह है जिसमें हर क्षेत्र के विकास और हर राज्य के विकास को गति देने का सामर्थ्य है। आज जब भारत चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने की तरफ बढ़ रहा है तो उसमें भारत के विज्ञान और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की भूमिका बहुत अहम है। समाधान, विकास और नवाचार का आधार विज्ञान ही है। इसी प्रेरणा से आज का नया भारत, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ ही जय अनुसंधान का आह्वान करते हुए आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने विज्ञान के क्षेत्र में केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जिक्र करते हुए कहा कि सरकार विज्ञान आधारित विकास की सोच के साथ काम कर रही है। 2014 के बाद से साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निवेश में काफी वृद्धि हुई है। सरकार के प्रयासों से आज भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 46वें स्थान पर है, जबकि 2015 में भारत 81 नंबर पर था।

उन्होंने कहा कि इस अमृतकाल में भारत को रिसर्च और इनोवेशन का ग्लोबल सेंटर बनाने के लिए हमें एक साथ अनेक मोर्चों पर काम करना है। अपनी साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़ी रिसर्च को हमें लोकल स्तर पर लेकर जाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आवश्यक है कि प्रत्येक राज्य विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी पर एक आधुनिक नीति तैयार करे और उसे लागू करे। सरकारों के रूप में हमें यथासंभव सहयोग करना चाहिए और अपने वैज्ञानिकों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे देश में वैज्ञानिक आधुनिकता का माहौल बनेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों को ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक संस्थानों के निर्माण और प्रक्रिया को सरल करने पर बल देना चाहिए। राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार लैब की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। राज्यों को अपने यहां के राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के सामर्थ्य और विशेषज्ञता का पूरा लाभ उठाना चाहिए। हमें अपने साइंस से जुड़े संस्थानों को साइलोस की स्थिति से भी बाहर निकालना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम पिछली शताब्दी के शुरुआती दशकों को याद करें तो पाते हैं कि दुनिया में किस तरह तबाही और त्रासदी का दौर चल रहा था। उस दौर में भी बात चाहे पूर्व या पश्चिम की हो, हर जगह के वैज्ञानिक अपनी महान खोज में लगे हुए थे। पश्चिम में आइंस्टीन, फर्मी, मैक्स प्लांक, नील्स बोर, टेस्ला जैसे वैज्ञानिक अपने प्रयोगों से दुनिया को चौंका रहे थे। उसी दौर में सीवी रमन, जगदीश चंद्र बोस, सत्येंद्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, एस चंद्रशेखर समेत कई वैज्ञानिक अपनी नई खोज सामने ला रहे थे।

इस सम्मेलन का समापन 11 सितंबर को होगा। यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन है। सम्मेलन का उद्देश्य सहकारी संघवाद के उत्साह से केंद्र और राज्य के बीच समन्वय और सहयोग तंत्र मजबूत करना और पूरे देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के एक सशक्त इको-सिस्टम का निर्माण करना है।

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