Dr. Himanta Biswa Sarma:बार काउंसिल के हीरक जयंती समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री

-न्याय व्यवस्था में तेजी लाने की जरूरत: मुख्यमंत्री

गुवाहाटी, 10 सितम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा शनिवार को यहां माछखोवा स्थित आईटीए सेंटर में बार काउंसिल ऑफ असम, नगालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के हीरक जयंती समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।

कार्यक्रम में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरन रिजिजू, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सूर्यकांत, ऋषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया, गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया भी मौजूद थे। इस मौके पर “प्रौद्योगिकी की भूमिका और त्वरित न्याय की सुविधा” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की गई।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बार काउंसिल को गौरवशाली सफलतापूर्वक 60 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम, अभिलेखों के डिजिटलीकरण की दिशा में कदम आदि जैसी गतिविधियों के लिए बार काउंसिल की भी सराहना की। मुख्यमंत्री ने बार काउंसिल के नियामक कार्यों के प्रदर्शन, कानूनी पेशे में अभ्यास के मानक को बढ़ाने के लिए प्रशंसा की।

गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी, तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उज्ज्वल कुमार भुइयां, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा, बार काउंसिल ऑफ असम, नगालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश के अध्यक्ष और सिक्किम के वरिष्ठ अधिवक्ता गजानंद साहेवाला, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एस प्रभाकरन, अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ इंडिया की कार्यकारी समिति के वरिष्ठ अधिवक्ता अपूर्व कुमार शर्मा आज के कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने देश की न्यायिक प्रणाली के लंबे और शानदार इतिहास पर बोलते हुए देश के लोकतंत्र को एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए इसकी सराहना की। डॉ. सरमा ने कहा कि न्यायपालिका ने हमेशा कानून के शासन को बनाए रखने और लोकतंत्र के चार स्तंभों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे देश के नागरिकों के मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता बरकरार है। उन्होंने कहा, हमारी न्यायपालिका ने केवल न्याय देने में अपनी शक्तियों को सीमित नहीं किया है, यह पवित्र संस्थान नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में अच्छी तरह से सूचित करने और अपनी घोषणाओं के माध्यम से उन्हें बनाए रखने के लिए सशक्त बनाने में प्रमुख उत्प्रेरक रहा है।

मुख्यमंत्री ने वेदों, उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों का जिक्र करते हुए प्राचीनकाल से देश में कानून की समृद्ध परंपरा के विषय को छुआ। उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि आधुनिक भारतीय न्यायपालिका आंशिक रूप से ब्रिटिश राज की कानूनी व्यवस्था की निरंतरता है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हालांकि, एक वर्ग अभी भी यह मानता है कि अनादि काल से, हमारे देश में न्याय प्रशासन की एक अच्छी तरह से विकसित प्रणाली थी। प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत। यह वही सिद्धांत है जो आज भी हमारी न्यायिक प्रणाली को संचालित करता है।”

डॉ. सरमा ने भारतीय महिला अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि तीन तलाक, संपत्ति में बेटियों के अधिकार आदि जैसे विषयों पर ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से उनकी गरिमा को बनाए रखा।

न्यायपालिका को एक महान मध्यस्थ बताते हुए, उन्होंने कहा कि 2019 में राम जन्मभूमि मामले में ऐतिहासिक फैसले ने सभी हितधारकों के दावों को संबोधित किया और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को सबसे उल्लेखनीय और सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया।

वकीलों को हमारी न्यायिक प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक के रूप में संदर्भित करते हुए, मुख्यमंत्री ने उन्हें एक पुल कहा जो न्याय की मांग करने वाले लोगों के साथ न्यायिक प्रणाली को जोड़ता है। “अगर अदालत न्याय का मंदिर है तो फिर वकील न्याय के इस मंदिर में पुजारी की भूमिका निभाते हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं बार काउंसिल के पदाधिकारियों से यह पता लगाने का आह्वान करता हूं कि यह कमजोर और वंचितों की मदद करने के लिए अपनी भूमिका कैसे निभा सकता है।” इस दिशा में असम सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निचली न्यायपालिका में लगभग 100 नए पद सृजित किए जाएंगे। यह राज्य में तेजी से न्याय दिलाने की दिशा में एक कदम होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत 9,000 करोड़ में असम में न्यायपालिका को अपने हिस्से के रूप में लगभग 300 करोड़ प्राप्त होंगे। इसके अलावा, असम सरकार इस संबंध में और 300 करोड़ प्रदान करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार सक्रिय अभ्यास से सेवानिवृत्त होने वालों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर विचार कर रही है।

इससे पूर्व दिन में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को गुवाहाटी उच्च न्यायालय परिसर के पुराने ब्लॉक में बने गुवाहाटी उच्च न्यायालय संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरन रिजिजू के साथ मुख्यमंत्री भारत के संविधान की हस्तलिखित प्रति, वस्त्र, संग्रहालय में प्रदर्शित सेवानिवृत्त व पूर्व न्यायाधीशों के विग, लिथो मशीन जैसी विभिन्न वस्तुओं से प्रभावित दिखे। समारोह में अतिथि के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश हृषिकेश रॉय और सुधांशु धूलिया भी उपस्थित थे। गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया ने आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों की मेजबानी की।

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