नई दिल्ली, 7 सितंबर (हि.स.)। नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु का अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बुधवार को पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित हो रहे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों को अपनाने वाले आठ शहरों पर एक ब्रोशर जारी किया। इन शहरों में वाराणसी, लखनऊ, बंगलुरू, पूणे, हैदाराबाद, अकोला, तूतीकोरीन और श्रीनगर शामिल हैं। इन सभी शहरों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहतर उपायों का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिससे वहां प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मददगार बेहतरीन प्रबंधन उपायों को देश के सभी शहरों के नगर निगमों के आयुक्तों को भेजा जाएगा।
पर्यावरण भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बताया कि नवाचार को देश में अभियान की तरह लिया जाना चाहिए। जिन राज्यों में पर्यावरण संरक्षण के लिए बेस्ट प्रबंधन के प्रयास किए जा रहे हैं, उनका न सिर्फ स्वागत होना चाहिए बल्कि उनका इस्तेमाल कर बाकी राज्य भी लाभान्वित हों, यह सुनिश्चित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य अब स्वच्छ वायु के लिए नित नए कदम उठा रहे हैं जिससे लोग भी जागरूक हो रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण में सरकारी कोशिशों के साथ जनभागीदारी भी आवश्यक है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गैरसरकारी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, शोधकर्ता को नए दृष्टिकोण के साथ आगे आना चाहिए।
किस शहर में क्या -क्या किए गए उपाय-
श्रीनगर में प्रदूषण को बढ़ाने वाले पीएम 10 का स्तर साल 2020-21 में जहां 163
माइक्रोन था जो साल 2021-22 में घटकर 111 माइक्रोन पर आ गया। यहां पर जनभागीदारी के साथ 6 आर अभियान की शुरुआत की गई। इसके तहत पोलिथीन के उपयोग को कम करना, उसका दोबारा इस्तेमाल करना, उसके रिसाइकल पर जोर देना, वैकल्पिक व्यवस्था को बढ़ावा देना और पॉलिथीन का इस्तेमाल को बंद करने के लिए उसकी सूचना प्रशासन को देना शामिल है। इस शहर में लोगों को जागरुक करने के लिए धार्मिक गुुरु आगे आ रहे हैं। मार्केट एसोसिएशन के द्वारा लोगों को जागरुक किया जा रहा है और पोलिथीन के इस्तेमाल को बंद करने पर जोर दिया जा रहा है। यहां अबतक पॉलिथीन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए अबतक 428 अभियान चलाए गए, 6443 किलो पॉलिथीन को जब्त किया गया और 9 लाख से अधिक जुर्माऩा वसूला गया। इस पूरे अभियान में स्थानीय लोगों ने प्रशासन का पूरा साथ दिया।
तूतीकोरीन में कचरे से किया जा रहा है धन अर्जित
तूतीकोरीन में कूड़ा प्रबंधन पर काफी काम किया जा रहा है। यहां प्रदूषण स्तर पिछले दो सालों में 84 माइक्रोन से घटकर 67 माइक्रोन रह गया है। यहां रोजाना 102 मेट्रिक टन कूड़ा निकलता है जिसमें से 96 मेट्रिक टन का निस्तारण किया जाता है। यहां बायो माइनिंग के माध्यम से कूड़े को पृथक कर रिफ्यूज्ड डिराइवड फ्यूल तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल किया जा रहा है। निर्माण कार्य के लिए भी कूड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वाराणसी में कूड़े के प्रबंधन के लिए कई किए जा रहे हैं कई उपाय
वाराणसी में साल 2020-21 में जहां प्रदूषण स्तर 168 माइक्रोन था वहीं साल 2021-22 में घटकर 114 माइक्रोन रह गया है। वाराणसी प्रशासन कूड़े के प्रबंधन के लिए कई सफल उपाय कर रही है। शहर में रोजाना 750 मेट्रिक टन कचरा निकलता है जिसमें 600 मेट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया जाता है। कचरे के निस्तारण के लिए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाए गए हैं। 24 टन कूड़े के इस्तेमाल से 200 किलोवाट बिजली भी पैदा की जा रही है। ठोस कचरे के निस्तारण के लिए 31 केन्द्र स्थापित किये गए हैं। इसके अलावा शहर में लोगों को जागरुक करने के लिए स्वच्छ समितियों का गठन किया गया है। सभी वार्ड में स्वच्छाग्राही बनाए गए हैं। कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
अकोला में नालियों की सफाई पर दिया जा रहा है जोर
महाराष्ट्र के अकोला में नालियों की सफाई पर खासा जोर दिया जा रहा है। यहां नालियां जाम होने के कारण बाढ़ आने का खतरा बना रहता है। यहां प्रदूषण का स्तर 60 माइक्रोन से नीचे रहता है। नालियों की सफाई, डीसिल्टिंग पर जोर दिया जा रहा है।
हैदराबाद में शहरों में पौधारोपण पर दिया जा रहा है जोर
हैदराबाद में शहरों में पौधारोपण के साथ अपशिष्ट प्रबंधन पर काफी जोर दिया जा रहा है। यहां प्रदूषण का स्तर पिछले दो सालों से 88 माइक्रोन है। शहर में खाली स्थानों पर पेड़-पौधा रोपण किया जा रहा है। नदियों के किनारे एक लाख से अधिक पौधे लगाए गए। 2.32 लाख से अधिक पौधे निगम के पार्कों में लगाए ।
पुणे में परिवहन प्रदूषण पर लगाया गया लगाम
पुणे शहर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए परिवहन व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। यहां बड़ी संख्या में बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहर में चलने वाली बसो में 310 बिजली से चलने वाली बसें और 1658 बसें सीएनजी से चलने वाली हैं। यहां दो मेट्रो हैं। इसके साथ लोगों में साइकिल और पैदल चलने की आदत को बढ़ावा देने के साथ यहां की सड़कों को उनके मुफीद तैयार किया जा रहा है।
बेंगलुरू में सड़कों को किया जा रहा है साफ
बेंगलुरू में साफ शहरों के लिए साफ सड़कों पर जोर दिया जा रहा है। यहां प्रदूषण स्तर 67 माइक्रोन है। वाहनों के प्रदूषण को कम करने की दिशा में यहां सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में ई बसों को शामिल किया है। सड़कों को साफ करने के लिए आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सड़कों पर धूल कण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जाता है। सड़कों के दोनों तरफ पेड़ पौधे लगाए जा रहे हैं। सार्वजनिक परिवहन को व्यवस्थित किया गया है।
लखनऊ में बनाया गया है कमांड सेंटर
लखनऊ में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों की क्रियान्वयन और निगरानी के लिए कमांड सेंटर स्थापित किया गया है। स्थानीय निकाय के उपायों से यहां प्रदूषण का स्तर पिछले एक साल में 209 माइक्रोन से घटकर 148 माइक्रोन आ गया है। कंट्रोल रूम से शहर में किए जा रहे उपायों पर रियल टाइम निगरानी रखी जा रही है।