नई दिल्ली, 02 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पेश की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 वैश्विक मानकों के अनुसार भारत की शिक्षा नीति को नया रूप देगी।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के शिक्षा शिखर सम्मेलन, 2022 को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनईपी आजादी के बाद से भारत में सबसे बड़ा पथ-प्रदर्शक सुधार है। नई नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है बल्कि 21 वीं सदी के भारत की उभरती जरूरतों और आवश्यकताओं का ध्यान भी रखती है।
उन्होंने कहा कि यह केवल डिग्री पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय छात्रों की अंतर्निहित प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और योग्यता को उचित प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि यह युवा विद्वानों और छात्रों को समय-समय पर उनकी योग्यता और उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर उनके विकल्प तय करने के लिए पर्याप्त जगह देता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज लगभग 4 करोड़ भारतीय उच्च शिक्षा में हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के संयुक्त आंकड़े से अधिक है और महत्वाकांक्षी नई शिक्षा नीति उस संख्या को दोगुना करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा लक्ष्य है लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इसे हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय की एक आंतरिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार 29 जुलाई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दो साल पूरे होने के बाद 28 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में उच्च शिक्षा संस्थानों में 2,774 इनोवेटिव काउंसिल की स्थापना की गई है। रिपोर्ट के अनुसार उच्च शिक्षा में 2 हजार संस्थान कौशल केंद्र के रूप में शुरू होने वाले हैं और इनमें से 700 ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।