नई दिल्ली, 01 सितंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू, सिख, जैन और बौद्धों के धार्मिक स्थलों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए टाल दी है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अर्जी में रखी गई दलीलों के समर्थन में ठोस आकंड़े और सबूत रखें कि कैसे राज्य फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख राज्य के हस्तक्षेप के बिना मुस्लिम और ईसाई की तरह अपने धार्मिक स्थलों का प्रबंधन कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि ये कानून तो लंबे अरसे से चले आ रहे हैं तब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अरविंद दातार ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में कुछ विशिष्ट मंदिर हैं। उन मंदिरों की देखरेख सरकार करती है जबकि धारा 26 के मुताबिक हिन्दू उन मंदिरों की देखरेख खुद कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि कर्नाटक में आमदनी नहीं होने की वजह से 15 हजार मंदिरों को बंद कर दिया गया। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या इसका कोई आधिकारिक दस्तावेज है। तब गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि नहीं। गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि कोर्ट कानूनी आधार पर गौर करें। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ ठोस उदाहरण होना चाहिए।