नई दिल्ली, 01 सितम्बर (हि.स.)। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पर मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया और कहा कि संवैधानिक जिम्मेदारी को निभाते हुए उन्होंने दिल्ली सरकार के कामकाज में बड़ी अनियमितताओं के मुद्दे उठाएं हैं। उनसे अपेक्षा थी कि वे इन मुद्दों को संबोधित करेंगे लेकिन वे जवाब देने के बजाय उन पर ही व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं।
चरणबद्ध ट्वीट करते हुए उपराज्यपाल सक्सेना ने कहा कि संविधान के तहत वे दिल्ली सरकार की गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सीबीआई ने खादी भवन के दो कर्मचारियों पर 17 लाख रुपये का विमुद्रीकरण का आरोप लगाया था। एक जनप्रतिनिधि के तौर पर मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए उसे उन्होंने किस कला के जरिए इसे 14 सौ करोड़ रुपये में बदल दिया।
उन्होंने कहा, “मैंने सुशासन, भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस और दिल्ली के लोगों के लिए बेहतर सेवाओं का आह्वान किया। लेकिन दुर्भाग्य से माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने हताशा में भटकाव के हथकंडे और झूठे आरोपों का सहारा लिया है।”
एलजी ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा अगर आने वाले दिनों में उनपर और उनके परिवार पर इस तरह के निराधार व्यक्तिगत हमले किए जाएं। उन्हें पता होना चाहिए कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने संवैधानिक कर्तव्यों से विचलित नहीं होंगे। दिल्ली के लोगों के जीवन में सुधार के लिए उनकी प्रतिबद्धता अटूट है।
उपराज्यपाल ने इस दौरान दिल्ली सरकार से जुड़ी बड़ी विसंगतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आबकारी नीति में गंभीर विसंगतियां उजागर होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट बैठक में इसे वापस ले लिया । दिल्ली सरकार ने स्कूलों कक्षाओं के निर्माण में सीवीसी रिपोर्ट में आई अनियमितताओं पर ढाई साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्यमंत्री खुद अपनी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करते। राज्य के विश्वविद्यालयों में समय पर सीएजी ऑडिट नहीं हो रहा है। कैबिनेट की बैठकों से जुड़े नोट उनके पास कैबिनेट बैठक के बाद पहुंच रहे हैं।
एलजी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल से अपेक्षा है कि वह सही भावना के साथ इन मुद्दों को संबोधित करेंगे लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उनकी प्रतिक्रिया और कुछ नहीं बल्कि अशोभनीय और अपमानजनक व्यक्तिगत हमले जैसे छलावा के तौर पर आई है।